जोहानसबर्ग: फाफ डु प्लेसिस ने बड़ा फैसला लेते हुए दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट और टी20 कप्तानी तत्काल प्रभाव से छोड़ने की घोषणा कर दी है। 35 वर्षीय प्लेसिस ने कप्तानी छोड़ने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि वह नई पीढ़ी को बढ़ावा देना चाहते हैं और क्विंटन डी कॉक को परिपक्व कप्तान बनने में मदद करना चाहते हैं। डु प्लेसिस ने कहा कि वह टीम में बतौर सीनियर खिलाड़ी और बल्लेबाज अपना योगदान देना चाहते हैं, जो युवाओं को सफलता पाने के लिए मार्गदर्शन भी दे सकें। फाफ डु प्लेसिस की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका को इंग्लैंड के हाथों टेस्ट सीरीज में 1-3 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
फाफ डु प्लेसिस ने अपने बयान में कहा, 'पिछले कुछ सप्ताह में खेल से दूर रहने पर मुझे जानने को मिला कि मैंने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में खेलकर कितना बड़ा सम्मान हासिल किया है। मैंने टीम का नेतृत्व किया, जो मेरे लिए सम्मान की बात है। इसमें कई चीजें देखने को मिली। कभी राह कड़ी रही तो अकेले चलना पड़ा, लेकिन मैंने अनुभव को किसी चीज से बदला नहीं क्योंकि इसने मुझे वह आदमी बनाया, जिस पर आज गर्व है।'
नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगे
उन्होंने आगे कहा, 'जब मैंने कप्तानी ली तो मैंने वादा किया था कि नेतृत्व, प्रदर्शन और सेवा देने में समर्पित रहूंगा। एक टीम के रूप में नए लीडर्स के साथ नई दिशा में आगे बढ़े, जिसमें युवाओं की पीढ़ी भी शामिल रही। मुझे लगता है कि यह दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट के हित में होगा कि सभी प्रारूपों से कप्तानी छोड़ दूं। यह सबसे कड़ा फैसला था, लेकिन मैं पूरी तरह क्विंटन, मार्क और अपने टीम साथियों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा। हम एक ग्रुप के रूप में आगे बढ़ेंगे।'
डु प्लेसिस ने आगे कहा, '2019 आईसीसी विश्व कप के बाद मैंने फैसला कर लिया था कि कुछ सीनियर खिलाड़ियों के संन्यास लेने के बाद टीम वापस बनेगी, ऐसे समय में मैं कप्तानी की भूमिका निभाऊंगा। कोचिंग स्टाफ में भी बदलाव हुआ। मेरे लिए जरूरी था कि टीम की मदद के लिए खड़ा रहूं ताकि वह अपने पैर जमा सके और नई पीढ़ी को बढ़ावा मिल सके। मेरी कप्तानी में पिछला सीजन काफी कड़ा था क्योंकि मैदान के बाहर कई ऐसे मामले थे, जिसमें मेरी काफी ऊर्जा खर्च हुई।'
35 वर्षीय प्लेसिस ने कहा, 'मैंने टीम का नेतृत्व करने के लिए कड़ी मेहनत की और हर चढ़ाव-उतार के समय अपनी साख पर बरकरार रहा। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान सबकुछ झोंका। मैं उनमें से कभी नहीं रहा, जिसने दूसरों पर इल्जाम डाला। मैंने हमेशा टीम को पहले रखा और विश्वास रखा कि अच्छा समय पाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ा समय बिताना होगा। परफेक्ट दुनिया में, मैं शेष सीजन में टेस्ट और टी20 विश्व कप तक कप्तानी करना चाहता था, लेकिन कभी एक लीडर के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है कि वह निस्वार्थ हो। मैं स्वस्थ, फिट और ऊर्जावान हूं कि अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करूं। मैं टीम के लिए विजयी प्रदर्शन करने पर ध्यान जारी रखूंगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट नए युग में दाखिल हो रहा है। नया नेतृत्व, नए चेहरे, नई चुनौतियां और नई रणनीतियां। मैं तीनों प्रारूपों में बतौर खिलाड़ी खेलना जारी रखूंगा और अपना ज्ञान नए लीडर्स के साथ साझा करूंगा। आखिरकार मैं हर उस इंसान का शुक्रिया अदा करता हूं, जिसने इतने साल कप्तानी करते समय मेरा साथ दिया। मेरी पत्नी और बेटी, परिवार, टीम के साथी, प्रोटियाज कोचिंग स्टाफ और प्रबंधन, सीएसए बोर्ड और स्टाफ, दोस्त और क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका के फैंस, सभी का शुक्रिया। यह मेरे लिए बेहद सम्मान की बात है कि देश का नेतृत्व करने का मौका मिला।'
डु प्लेसिस की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका ने तीनों प्रारूपों में कुल मिलाकर 112 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। इसकी शुरुआत दिसंबर 2012 से हुई, जब उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में प्रोटियाज टीम का नेतृत्व किया था। मेजबान टीम ने यह सीरीज 2-1 से जीती थी। प्लेसिस ने बतौर कप्तान सभी प्रारूपों में कुल मिलाकर 11 शतकों और 28 अर्धशतकों की मदद से 5,101 रन बनाए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को कई यादगार जीत दिलाई।
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