कोरोना का असरः IPL के केंद्रीय प्रायोजन पूल से हटा फ्यूचर ग्रुप

क्रिकेट
भाषा
Updated Aug 24, 2020 | 21:40 IST

Future Group out of IPL central sponsorship pool: आईपीएल के केंद्रीय प्रायोजन पूल से फ्यूचर ग्रुप का नाम हट गया है और इसकी वजह बताया जा रहा है कोरोना महामारी से पैदा हुए अजीब आर्थिक हालात।

BCCI IPL
BCCI  |  तस्वीर साभार: Twitter

नई दिल्ली: पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा रिटेल समूह फ्यूचर ग्रुप इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के केंद्रीय प्रायोजकों की सूची से हट गया है। फ्यूचर ग्रुप को हटने के लिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि कोविड-19 के कारण प्रतिकूल आर्थिक हालात के कारण उसे नुकसान का सामना करना पड़ा।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए पीटीआई को बताया, ‘‘हां, फ्यूचर ग्रुप आईपीएल केंद्रीय प्रायोजन से हट गया है और यही कारण है कि आईपीएल वेबसाइट से उनका लोगो हटा दिया गया है। इस समय इस मामले में मैं अधिक विस्तार से कुछ नहीं कहना चाहता।’’ फ्यूचर ग्रुप के एक अधिकारी से जब संपर्क किया गया तो उसने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया लेकिन उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने पुष्टि की है कि कंपनी की वित्तीय हालत के कारण उसके हटने की संभावना थी।

सूत्र ने कहा, ‘‘कोविड-19 के शुरू होने के समय से ही फ्यूचर ग्रुप बुरी हालत में था। यह होना ही था कि वे बीसीसीआई के केंद्रीय प्रायोजन पूल के हिस्से के रूप में 40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाएंगे। इसलिए उनका हटना हैरानी भरा नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फ्यूचर ग्रुप फिलहाल पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है और अगले कुछ हफ्ते में संभावित टेकओवर को लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बात चल रही है। इसलिए इस समय खेल प्रतियोगिताओं का प्रायोजन फ्यूचर ग्रुप की प्राथमिकता नहीं है।’’

पता चला है कि आईपीएल टाइटिल प्रायोजन की दौड़ में ड्रीम11 से पिछड़ने वाली शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी अनअकैडिमी क्रेडिट कार्ड भुगतान ऐप क्रेड के साथ आधिकारिक प्रायोजक बनने की राह पर है। फिलहाल आईपीएल वेबसाइट के अनुसार सिर्फ चार प्रायोजक हैं। ये टाइटिल प्रायोजक के रूप में ड्रीम11 के अलावा टाटा मोटर्स (आल्टरोज), पेटीएम और सिएट टायर्स हैं।

बीसीसीआई आम तौर पर अपने केंद्रीय प्रायोजन पूल की आधी राशि फ्रेंचाइजियों के साथ बांटता है। हालांकि आईपीएल टाइटिल प्रायोजन की राशि लगभग आधी होने (वीवो के 440 करोड़ रुपये की तुलना में ड्रीम11 के 222 करोड़ रुपये) और कुछ प्रायोजकों के हटने से टीमों की कमाई पहले ही तुलना में कम होने की आशंका है।

एक फ्रेंचाइजी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें पता है कि यह आदर्श स्थिति नहीं है लेकिन इसके लिए आप बीसीसीआई को दोषी नहीं ठहरा सकते। यह वित्तीय संकट है। अगर फ्रेंचाइजियों ने अच्छे समय में फायदा कमाया है तो मुश्किल के समय में वे बीसीसीआई के साथ खड़े हैं।’’

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