गेंदबाजी कोच भरत अरुण का खुलासा- 'रवि शास्त्री के दिमाग की उपज थी ये रणनीति, विराट को पता था'

क्रिकेट
भाषा
Updated Jan 22, 2021 | 21:24 IST

Bharat Arun on strategies implemented on Australia tour: भारतीय क्रिकेट टीम के बॉलिंग कोच भरत अरुण ने स्वदेश वापसी के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे से जुड़े कई खुलासे किए हैं। जिसमें रणनीतियां भी शामिल हैं।

Bharat Arun with Ravi Shastri
रवि शास्त्री और मोहम्मद सिराज के साथ भरत अरुण  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज पर भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण के खुलासे
  • अरुण ने बताया किस रणनीति के साथ टीम इंडिया मैदान पर उतरी थी
  • रवि शास्त्री के दिमाग की उपज थी एक खास ऱणनीति, विराट को भी बताया गया था

नई दिल्लीः ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज हाल ही में खत्म हुई चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला में भारतीय गेंदबाजों द्वारा की गयी ‘लेग-साइड (शरीर के आस-पास)’ गेंदबाजी के जाल में फंस गये, जिसकी योजना पिछले साल जुलाई में ही बननी शुरू हो गयी थी। भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरूण ने शुक्रवार को बताया कि यह योजना टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री के दिमाग की उपज थी जिस पर दौरा शुरू होने के चार महीने पहले ही काम शुरू हो गया था।

तेज गेंदबाजों के साथ स्पिनरों ने भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की धुरी स्टीव स्मिथ और मार्नुस लाबुशेन को लेग में कैच पकड़ने के लिए क्षेत्ररक्षकों को लगाकर गेंदबाजी की और यह योजना काफी सफल रही। भारत ने ब्रिसबेन में खेले गये चौथे टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर श्रृंखला 2-1 से अपने नाम की।

अरूण ने यहां ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘रवि (शास्त्री) ने जुलाई में मुझ से बात की थी और हमने ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर चर्चा कर रहे थे कि हमें ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को ऑफ साइड (चेहरे के सामने की तरफ) की ओर गेंदबाजी नहीं करनी होगी। हमारे पास अपना विश्लेषण था और हमने महसूस किया कि स्मिथ और लाबुशेन के अलावा अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने ऑफ में कट पूल लगाकर काफी रन बटोरते हैं।’’

न्यूजीलैंड की गेंदबाजी से सीख ली

टीम ने न्यूजीलैंड के गेंदबाजों खासकर नील वेगनर की गेंदबाजी से भी काफी सबक ली जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड श्रृंखला के दौरान स्मिथ को परेशान किया था। इस 58 साल के कोच ने कहा, ‘‘हमने न्यूजीलैंड की गेंदबाजी से सीख ली। उन्होंने स्टीव स्मिथ को बॉडीलाइन (शरीर पर) गेंदबाजी की थी और वह बहुत असहज महसूस कर रहे थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रवि ने मुझ से कहा कि मैं चाहता हूं कि आप ऐसी योजना बनाये जिससे ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ियों को ऑफ साइड के बाहर मौके ना दिये जाए।’’

विराट कोहली को बताया गया था

अरूण ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि हम विकेट के सामने सीधी गेंदबाजी करेंगे और लेग साइड में क्षेत्ररक्षक लगायेंगे ताकि बल्लेबाज को रन बनाने में मुश्किल हो। इसने हमारे पक्ष में काम किया।’’ अरूण ने कहा कि इस योजना के बारे में कप्तान विराट कोहली को बताया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ इस बारे में बातचीत जुलाई में ही शुरू हो गयी थी और फिर हमने विराट से चर्चा की।

गेंदबाजी कोच ने कहा, ‘‘विराट ने एडीलेड में इसकी शुरूआत की और फिर मेलबर्न से रहाणे ने इसे शानदार तरीके से जारी रखा। गेंदबाजों ने अपने काम को बेहतरीन तरीके से किया।’’

नेट गेंदबाजों को रोकने का फैसला सही

सीमित ओवरों की श्रृंखला के बाद शारदुल ठाकुर, वाशिंगटन सुंदर और टी नटराजन को दौर पर रोके रखा गया और प्रमुख गेंदबाजों के चोटिल होने के कारण इन तीनों को ब्रिसबेन टेस्ट में खेलने का मौका मिला। इस मैच में इन तीनों खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी। अरूण ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि नेट गेंदबाज के तौर पर यहां आये खिलाड़ियों को रोके रखने का रवि शास्त्री का फैसला शानदार था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एकदिवसीय श्रृंखला के बाद ज्यादातर खिलाड़ी भारत लौट आते लेकिन हमने सोचा कि अगर किसी खिलाड़ी को कुछ होता है तो प्रतिबंधों (पृथकवास नियमों) के कारण किसी का आना लगभग नामुंकिन होगा।’’ अरूण ने कहा, ‘‘ऐसे में हमने सोचा कि हम यहां सभी के साथ रहेंगे। वे यह समझने में सक्षम थे कि यह ऑस्ट्रेलिया में सफल होने के लिए कैसी गेंदबाजी की जरूरत होगी। उन सभी का हमारे साथ होने से बहुत फायदा हुआ।’’
उन्होंने बताया कि नेट गेंदबाज होने के बाद भी सुंदर को बल्लेबाजी अभ्यास करवाया जाता था। सुंदर ने ब्रिसबेन टेस्ट की पहली पारी में शारदुल के साथ सातवें विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी की भारतीय टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला था।

सुंदर बल्लेबाजी का अभ्यास भी करते थे

अरूण ने बताया, ‘‘ वाशिंगटन (सुंदर) नेट गेंदबाज थे लेकिन वह हर दिन आधे घंटे तक बल्लेबाजी करते थे। हमें इसके लिए नेट पर अतिरिक्त समय बिताना होता था लेकिन हमें हर खिलाड़ी पर ध्यान देना था। आखिर में इससे टीम को फायदा हुआ।’’ एडीलेड में खेले गये पहले टेस्ट के बाद भारतीय टीम हर मैच में पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरी थी। विराट कोहली की कप्तानी में टीम विदेशी दौरे पर पिछले कुछ वर्षों से इसी योजना के साथ मैदान पर उतर रही है।

हम मैच हारने से नहीं डरते हैं

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर समय हम पांच गेंदबाजों के साथ विदेशी मैदान पर उतरते है क्योंकि विदेशी परिस्थितियों में चार गेंदबाजों से पूरी टीम को आउट करना काफी मुश्किल होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह टीम निडर और ईमानदार से खेलने के सिद्धांत को मानती है। हम मैच हारने से नहीं डरते है।’’
गेंदबाजी कोच ने कहा, ‘‘आखिरी तीनों टेस्ट में भी अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ उतरने की चर्चा हुई थी लेकिन हमने महसूस किया कि यह एक नकारात्मक कदम होगा और हम सभी को लगा कि पांच गेंदबाजों के साथ उतरना हमारे लिए सफल रहा है। हम जानते थे कि वाशिंगटन सुंदर बल्ले से काफी सक्षम है।’’

इंग्लैंड के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ-11 उतारेंगे

उन्होंने कहा, ‘‘ इस दौरे पर कई गेंदबाज चोटिल हुए लेकिन भविष्य में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सात तेज गेंदबाज तैयार रहेंगे। हमें इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर चार और फिर उनकी सरजमीं पर पांच टेस्ट मैच खेलना है। ऐसे में गेंदबाजों को ‘रोटेशन’ के तहत मौका मिलेगा। हम सुनिश्चित करेंगे की सर्वश्रेष्ठ टीम को मैदान में उतारा जाये।’’

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