सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2000 के बाद कई सालों तक एक सुनहरा दौर देखा। सचिन, सहवाग, द्रविड़, लक्ष्मण, कुंबले जैसे तमाम दिग्गज टीम का हिस्सा थे। विदेश हो या देश, टीम इंडिया हर जगह अपनी छाप छोड़ने में सफल रहती थी, वो भी उस जमाने के खिलाड़ियों के सामने जो मौजूदा क्रिकेटरों से काफी हद तक बेहतर नजर आते थे। उस दौर में गांगुली को युवा क्रिकेटरों का भी अच्छा साथ मिला था। जहीर, हरभजन और वीरेंद्र सहवाग इनमें से कुछ नाम थे। जबकि बात सिर्फ सीमित ओवर क्रिकेट की करें तो दो नाम ऐसे हैं जिनको भुलाया नहीं जा सकता- युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ। लेकिन सवाल ये हमेशा रहा कि आखिर ये दोनों टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा क्यो नहीं खेल पाए।
मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने पहले एक साथ मिलकर भारत को 2000 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप जिताया जिसमें कैफ टीम के कप्तान थे। उसके बाद दोनों को एक ही साल में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। दोनों ना सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज बनकर सामने आए बल्कि उनकी फील्डिंग और फिटनेस ने भी करोड़ों का दिल जीत लिया। लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज फाइनल कैसे भूला जा सकता है जहां इन्हीं दोनों के दम पर भारत ने जीत हासिल की थी।
बेशक सीमित ओवर क्रिकेट में इन दोनों खिलाड़ियों ने नाम कमाया लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनको वो सफलता हासिल नहीं हुई जिसकी उम्मीद थी। आखिर रेड बॉल क्रिकेट में आते ही ये दोनों क्यों अपनी छाप नहीं छोड़ पाते थे, इस पर मोहम्मद कैफ ने अपनी राय बताई है। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए कैफ ने कहा, 'भारतीय टीम में उस समय सचिन, द्रविड़ और सहवाग जैसे कई दिग्गज मौजूद थे। इसीलिए मैं और युवराज ज्यादा टेस्ट नहीं खेल सके। युवराज को मुझसे भी ज्यादा मौके मिले थे। मुझे इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर (2006) में टेस्ट खेलने का मौका मिला जब एक खिलाड़ी चोटिल था और मैंने 91 रन बनाए। फिर वो खिलाड़ी जैसे ही फिट हुआ, मुझे फिर हटा दिया गया। वो टीम इतनी मजबूत थी कि मुझे ज्यादा मौके नहीं मिल सके। वो क्रिकेट के महान खिलाड़ी थे जो हमको प्रेरित करते थे।'
कैफ ने उस पहले मौके का भी जिक्र किया जब उन्हें टेस्ट खेलने का मौका मिला। जगह थी दक्षिण अफ्रीका और कैफ की उम्र थी 19 साल। उन्होंने बताया कि, जब पहली बार टेस्ट के लिए बुलावा आया तो मैं चौंक गया था। कुछ ही समय पहले अंडर-19 विश्व कप जीता था इसलिए मीडिया को शोर भी काफी था। एक चैलेंजर टूर्नामेंट हुआ था जिसमें कई अंडर-19 खिलाड़ियों को मौका मिला था। मैंने जो दो मैच खेले उन दोनों में 90+ स्कोर बनाए। फिर मुझे भारतीय टेस्ट टीम में जगह मिल गई।
मोहम्मद कैफ की बात करें तो उन्होंने कुल 13 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 32.84 की औसत से 624 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक भी निकला। जबकि वनडे क्रिकेट में कैफ ने 125 मैच खेले। वहीं अगर युवराज सिंह की बात करें तो उन्होंने 40 मैच खेले और 33.92 की औसत से 1900 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से तीन शतक निकले और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 169 रन रहा जो उन्होंने 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलुरू में बनाए थे।
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