सौरव गांगुली बीसीसीआई अध्‍यक्ष बनते ही बना देंगे बड़ा रिकॉर्ड, 62 साल का सूखा करेंगे खत्‍म

क्रिकेट
Updated Oct 14, 2019 | 15:41 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्‍यक्ष बनना तय है। वह यह पद संभालते ही 62 साल बाद एक बड़ा रिकॉर्ड बना देंगे।

Sourav Ganguly
सौरव गांगुली (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली: पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुल का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना लगभग तय है। बीसीसीआई के चुनाव 23 अक्टूबर को होंगे जिसमें इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी। गांगुली का बीसीसीआई का निर्विरोध अध्यक्ष बनने की उम्मीद है क्योंकि उनके अलावा कोई और उम्मीदवार नहीं है। वह फिलहाल क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) के अध्‍यक्ष हैं। साल 2008 में क्रिकेट को अलविदा कहने वाले गांगुली 113 टेस्ट और 311 वनडे खेल चुके हैं। वह साल 2000 से 2005 तक टीम के कप्तान रहे। 

गांगुली के लिए अध्यक्ष पद का कार्यकाल बेहद छोटा होगा क्‍योंकि नए नियमों के अंतर्गन जुलाई 2020 से उन्‍हें आराम करना होगा। गांगुली के अध्यक्ष बनने पर फैसला रविवार को मुंबई में एक अनौपचारिक बैठक में लिया गया, जिसमें एन श्रीनिवासन, अनुराग ठाकुर, पूर्व सचिव निरंजन शाह और आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष अमित शुक्ला जैसे लोगों ने शिकरत की।

गांगुली अध्यक्ष पद संभालते ही एक अनोखी उपलब्धि भी अपने नाम कर लेंगे। दरअसल, वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड में सर्वोच्च पद हासिल करने वाले दूसरे भारतीय टेस्ट कप्तान होंगे। बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने वाले पहले भारतीय टेस्ट कप्तान विजयनग्राम के महाराजकुमार थे।  वह 1957 तक इस पद पर रहे थे। अब 62 साल बाद गांगुली यह जिम्मेदारी संभालकर नया रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। इसके अलावा सुनील गावस्कर 2014 में इस पद पर थे लेकिन उन्होंने अंतरिम भूमिका निभाई थी। उन्हें पूर्णकालिक तौर पर कभी भी नियुक्त नहीं किया गया था।

कौन थे महाराजकुमार?

महाराजकुमार का पूरा नाम लेफ्टिनेंट कर्नल सर पुसापति विजय आनंद गजपति राजू था। उनके पिता ब्रिटिश शासन के दौरान विजयनग्राम के शासक थे। 1905 में जन्मे महाराजकुमार के धन से भारतीय क्रिकेट को अपने शुरुआती दिनों के दौरान काफी मदद मिली। इसलिए, उन्हें 1936 में इंग्लैंड का दौरा करने वाली भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। इस दौरान पर भारत ने तीन टेस्ट मैच खेले। 

महाराजकुमार को इस दौरे पर किंग एडवर्ड VIII द्वारा नाइट की उपाधि दी गई थी। वह यह सम्मान पाने वाले इकलौते टेस्ट क्रिकेटर हैं। क्रिकेट करियर के समाप्त होने के बाद महाराजकुमार ने 1954 से 1957 तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्हें 1958 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया था।

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