नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में कोरोना संक्रमण को देखते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे लोगों की हरसंभव मदद करें और जहां तक संभव हो लोगों को ऑक्सीमीटर डोनेट करें।
सीएम केजरीवाल ने आप कार्यकर्ताओं को शनिवार (15 अगस्त) शाम 4 बजे सोशल मीडिया के जरिये संबोधित किया, जब उन्होंने कहा कि आप कार्यकर्ता कोरोना के खिलाफ जंग में आगे बढ़कर जिम्मेदारी लें। अपने-अपने क्षेत्रों, कॉलोनियों में जाकर कार्यकर्ता लोगों की मुश्किलें जानें और लोगों को हर संभव मदद मुहैया कराएं। कोरोना से जंग में ऑक्सीमीटर की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए आप संयोजक ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे जहां तक संभव हो, लोगों को ऑक्सीमीटर डोनेट करें। उन्होंने ऐसा करने वाले कई लोगों के नाम भी अपने संबोधन के दौरान लिए।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों और इससे होने वाली मौतों में भी विगत कुछ दिनों में कमी आई है और सीएम केजरीवाल ने इसमें ऑक्सीमीटर की महत्वपूर्ण भूमिका बताई है। उन्होंने पूर्व में कहा था कि घर में आइसोलेशन में रह रहे सभी रोगियों के लिए ऑक्सीमीटर सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जिससे हर 1-2 घंटे में वे अपने ऑक्सीजन लेवल की जांच कर सकेंगे। अगर यह 94 से नीचे होता है तो फोन करने पर उन्हें उनके घर में ही ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया जाता है या आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
सीएम केजरीवाल का 16 अगस्त (रविवार) को जन्मदिन भी है। आम तौर पर इस मौके पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए जुटते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील कि वे उनके घर न आएं और अपने-अपने घरों से ही उन्हें आशीर्वाद व शुभकामनाएं दें।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति दो महीने पहले के मुकाबले अब काफी बेहतर स्थिति में है। हालांकि देश में अब भी 60 हजार से अधिक केस रोजाना सामने आ रहे हैं। इस महामारी की रोकथाम के लिए हमें अभी कुछ और कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में होम आइसोलेशन कोरोना से जंग में काफी मददगार साबित हुआ है। उदाहरण के लिए अगर 10 हजार केस हैं तो उनमें से केवल 1000 ही गंभीर मामले होते हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने की जरूरत होती है, जबकि बाकी घर में ही ठीक हो सकते हैं। इससे अस्पतालों में 9000 बिस्तरों को खाली रखा जा सकता है। यह गांवों में भी अपनाया जा सकता है।
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