नई दिल्ली: दिल्ली में इसी साल की शुरूआत में भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र पर दिल्ली की कड़कड़नूमा कोर्ट ने संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त रूप से सामाग्री है। रविवार को दायर आरोपपत्र में इमाम और खालिद पर यूएपीए, भारतीय दंड संहिता, हथियार कानून और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत आरोप लगाया गया है।
उमर खालिद ने बुलाई थी बंगाली भाषी महिलाएं
स्पेशल सेल द्वारा दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि उमर खालिद और शर्जील इमाम ही मुख्य साजिशकर्ता थे और लोगों को भड़काने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया था। इस आरोप पत्र के मुताबिक नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में लोगों को हिंसा के उकसाया गया। आरोपपत्र में कहा गया है कि ' उमर खालिद ने बंगाली भाषा बोलने वाली व बुर्का पहने 300 महिलाओं को पथराव करने के लिए बुलाया था।'
शातिर तरीके से बिहार गया था उमर खालिद
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा से ठीक एक दिन पहले उमर खालिद बड़े ही शातिर तरीके से हवाई मार्ग द्वारा बिहार के समस्तीपुर चला गया तांकि उस पर कोई शक ना कर सके। आरोपपत्र में कहा गया है कि उमर खालिद ने बिहार से ही अपने इरादों को अंजाम दिया और उसी के पास इसका रिमोट था। इसी साल फरवरी में भड़की इस हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 748 लोग घायल हुए थे।
एक ही तर्ज पर करते थे बात
पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा 'खालिद और अन्य लोगों द्वारा कथित रूप से रची गई साजिश' थी। आरोपपत्र में दावा किया गया है कि 23 जनवरी को शरजील इमाम ने बिहार में भाषण दिया, जबकि उमर ने महाराष्ट्र में भाषण दिया, मगर दोनों के भाषण में शब्द या लाइनें एक ही तरह की थीं। आरोप के मुताबिक, इमाम और खालिद एक ही तर्ज पर बात करते थे। मुद्दा सीएए या एनआरसी नहीं था। इमाम आगे कहते हैं कि यह एक मौका है, मुद्दा तो 370 है, अयोध्या और तीन तलाक है। यह सीएए/एनआरसी की आड़ में किया गया।
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