Delhi violence: इन इलाकों में साफ दिखता है तबाही का मंजर, दशहत ऐसी कि कांप जाती है रूह

Delhi violence aftermath: उत्‍तर-पूर्वी दिल्‍ली में भड़की हिंसा के बाद प्रभावित इलाके में तबाही का मंजर साफ नजर आ रहा है। हिंसक घटनाओं से खौफ इस कदर हावी हो गया है कि उनकी रातें जागकर बीती हैं।

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दिल्‍ली हिंसा: इन इलाकों में साफ दिखता है तबाही का मंजर, दशहत ऐसी कि कांप जाती है रूह  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्‍ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर जारी बवाल के बाद दिल्‍ली के उत्‍तर-पूर्वी इलाके में तनाव अब भी बरकरार है, जिसमें मरने वालों की तादाद बढ़कर 20 हो गई है, जबकि घायलों की संख्‍या 180 के पार है। लोग घरों से निकल रहे हैं, पर उनके चेहरों पर खौफ साफ दिख रहा है। पिछले तीन दिनों में हिंसा व आगजनी की घटनाओं के बीच यहां रातें लोगों ने जागकर बिताई हैं, जहां घरों व दुकानों की इमारतों पर धुएं के काले निशान अब भी मौजूद हैं। लोग जान बचाने के लिए अपने घरों से भाग निकले तो उपद्रवियों ने घरों व दुकानों में लूटपाट भी खूब की।

कैसा है मंजर
उत्‍तर-पूर्वी दिल्‍ली में हालात हालांकि अभी काबू में बताया जा रहा है, लेकिन तनाव बरकरार है। सड़कों पर हर तरफ तोड़फोड़ का मंजर साफ नजर आ रहा है। मौजपुर, जाफराबाद, भजनपुरा, कबीर नगर, सीलमपुर, गोकुलपुरी में पुलिस की गश्‍त बढ़ा दी गई है, जहां पिछले 75 घंटों से भी अधिक समय से उपद्रवियों ने तांडव मचा रखा है। इन इलाकों में हर तरफ तबाही का मंजर नजर आ रहा है। जगह-जगह जले हुए वाहनों के साथ-साथ दुकानें और इमारतों पर भी आगजनी के निशान साफ नजर आ रहे हैं।

तनाव के बीच आवाजाही
प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की गश्‍त बढ़ा दी गई है तो चप्‍पे-चप्‍पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। कड़ी सुरक्षा के बीच लोग आ-जा तो रहे हैं, लेकिन उनके चेहरों पर खौफ साफ देखा जा सकता है। मौजपुर, कबीरनगर सहित कई इलाकों में सड़कों पर बिखरे पत्‍थर अब भी नजर आ रहे हैं, जो हालात की भयावहता को बयां करते हैं। हालांकि इन्‍हें सड़कों, गलियों से हटाने का काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन अब तक पूरी सफाई नहीं हो पाई है। जाफराबाद मेट्रो स्‍टेशन के नीचे जिस रास्‍ते को बंद किए जाने को लेकर बवाल शुरू हुआ था, उसे अब खाली करा लिया गया है, लेकिन डर के मारे इधर से लोग कम ही गुजर रहे हैं।

जागकर बीती रातें
पिछले तीन के उपद्रव के बीच दिल्‍ली के इस इलाके में दहशत के बीच लोगों की रातें जागकर बीती हैं। रात में रखवाली के नाम पर दोनों पक्षों के लोग सड़कों पर होते थे। कब उनके बीच फिर से झड़प हो जाए, इसकी आशंका के बीच बमुश्किल लोगों को रातों को नींद आती थी। फिर रात के घुप्प अंधेरे में सन्‍नाटे को चीरती लोहे की रॉड की वह आवाज और धड़कनें बढ़ा देने वाली साबित हो रही थी, जिसे बार-बार पहरेदारी के लिए सड़क पर मौजूद लोगों द्वारा पटका जा रहा था। इसकी आवाज सुन सोते लोग भी जाग जाते थे और पूरा शरीर भय से कांप उठता था।

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