शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई, जज बोले- माहौल अभी ठीक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए शाहीन बाग के मुद्दे पर सुनवाई 23 फरवरी तक के लिए टाल दी है कि फिलहाल माहौल ठीक नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के मसले पर सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी है (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्‍ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्‍ली में जारी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई हुई। दिल्‍ली के उत्‍तर-पूर्वी इलाके में हिंसा को लेकर दिल्‍ली पुलिस को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका सहित शाहीन बाग के मुद्दे पर भी शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई, जहां प्रदर्शनकारी पिछले दो महीने से धरने पर बैठे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों ने पिछले दिनों शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत भी की थी, जिन्‍होंने इस सिलसिले में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत में सौंप दी है।

शाहीन बाग पर अब 23 मार्च को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हिंसा से संबंधित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने हिंसक घटनाओं को 'दुर्भाग्‍यपूर्ण' करार देते हुए कहा कि इस मामले में दिल्‍ली हाई कोर्ट को संज्ञान लेने की जरूरत है। वहीं शाहीन बाग के मसले पर भी कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई टाल दी कि फिलहाल इसके लिए माहौल ठीक नहीं है। शीर्ष अदालत ने अगले करीब एक महीने में मामला शांत हो जाने की उम्‍मीद जताते हुए कहा कि अब इस मामले की सुनवाई होली के बाद होगी। कोर्ट ने इसके लिए 23 मार्च की तारीख तय की है।

जजों ने क्‍या कहा?
दिल्‍ली हिंसा पर टिप्‍पणी करते हुए जस्टिस जे कौल ने कहा कि जो कुछ भी हुआ है, वह दुर्भाग्‍यपूर्ण है, लेकिन कोर्ट इससे जुड़ी याचिकाओं पर विचार कर शाहीन बाग प्रदर्शनों से संबंधित याचिकाओं के दायरे में विस्तार नहीं करेगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि शाहीन बाग पर वार्ताकारों ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें भी कई 'इफ-बट्स' हैं। वहीं, जस्टिस केएम जोसेफ ने इस दौरान यह भी कहा कि जब कभी कोई व्‍यक्ति भड़काऊ भाषण देता है, पुलिस को उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। यही राष्‍ट्रहित में है।

SC में दायर की गई हैं कई याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग से जुड़ी दो याचिकाएं दायर की गई है, जिनमें रास्‍ता रोककर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र व प्राधिकार को निर्देश देने की मांग की गई है। रास्‍ता खुलवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों ने पिछले दिनों शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात भी की थी, जिस पर उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। एक अन्‍य याचिका उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा को देखते हुए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा को लेकर दायर की गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्‍चे हैं।

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