NCT Bill : विपक्ष के बहिष्कार के बीच राज्यसभा से  GNCT बिल पास, AAP की भड़ास, बताया- 'संविधान का चीरहरण'

NCT bill Update:एनसीटी बिल पर बहस के दौरान विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। आखिरकार विपक्ष के हंगामे, कुछ पार्टियों के वॉकआउट के बीच यह बिल राज्यसभा से पास हो गया।

Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill 2021 GNCTD Bill passed in rajyasabha
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस बिल को 'संविधान का चीरहरण' बताया 
मुख्य बातें
  • विपक्ष के हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित भी हुई
  • यह विधेयक लोकसभा में 22 मार्च को पारित हुआ था
  • बिल में प्रावधान है कि दिल्ली सरकार को कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले LG की राय लेना जरूरी होगा

राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 (GNCT) पास हो गया इस बिल को लेकर दिल्ली के सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम सिसौदिया से लेकर AAP के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कड़ा विरोध जताया है, सीएम केजरीवाल ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए शोक का दिन बताया तो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस बिल को 'संविधान का चीरहरण' बताया है।

इससे पहले विपक्ष के हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित भी हुई वहीं विपक्षी सदस्यों ने 'तानाशाही बंद करो' के नारे लगाकर बिल का विरोध किया। 

AAP इस बिल को लेकर लगातार केंद्र सरकार को घेर रही थी, यह विधेयक लोकसभा में 22 मार्च को पारित हुआ था वहीं अब  इस बिल के पास होने पर आम आदमी पार्टी ने की कठोर प्रतिक्रिया सामने आई है।दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने राज्यसभा से इस बिल के पास होने को भारतीय लोकतंत्र के लिए शोक का दिन बताया...

AAP ने इसे चुनी हुई सरकार के अधिकारों को खत्म करने वाला बताया

विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बिल के जरिए दिल्ली में पिछले दरवाजे से अपनी सरकार चलानी चाहती है वहीं AAPने इसे चुनी हुई सरकार के अधिकारों को खत्म करने वाला बताया।आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस बिल को 'संविधान का चीरहरण' बताया। उन्होंने कहा कि भरी सभा में कभी द्रौपदी का चीरहरण हुआ था, आज इस सभी में 'संविधान का चीरहरण' हो रहा है।

 

गौर हो कि लोकसभा में 22 मार्च को NCT एक्ट पास हो चुका है केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसे पेश किया था यह बिल चुनी हुई सरकार के मुकाबले उपराज्यपाल के अधिकारों को बढ़ाता है बिल में प्रावधान है कि दिल्ली सरकार को कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले LG की राय लेना जरूरी होगा।

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