नयी शिक्षा नीति : शिक्षाविदों ने बताया मील का पत्‍थर, इसके नकारात्‍मक पक्ष को लेकर भी चेताया

एजुकेशन
भाषा
Updated Jul 30, 2020 | 08:40 IST

New Education Policy 2020: नयी शिक्षा नीति की घोषणा के बाद कई शिक्षाविदों ने जहां इसे सकारात्मक करार देते हुए इसे मील का पत्‍थर बताया, वहीं कुछ ने यह भी कहा कि बिना नियमन के यह खतरनाक हो सकती है।

नयी शिक्षा नीति : शिक्षाविदों ने बताया मील का पत्‍थर, इसके नकारात्‍मक पक्ष को लेकर भी चेताया
नयी शिक्षा नीति : शिक्षाविदों ने बताया मील का पत्‍थर, इसके नकारात्‍मक पक्ष को लेकर भी चेताया  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • केंद्र सरकार ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की है
  • शिक्षाविदों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है
  • कुछ ने इसे सकारात्‍मक बताया है तो कुछ ने इसे लेकर चेताया भी है

नई दिल्ली : नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षाविदों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की। कुछ ने इसका स्वागत करते हुए इसे मील का पत्थर करार दिया और कहा कि इससे समग्र और विविध-विषयों के अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं अन्य का तर्क है कि यह शिक्षा के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने कहा कि यह नीति एक बेहतरीन खाका तैयार करती है। नयी शिक्षा नीति का जब मासौदा बन रहा था तो वह उसके आधिकारिक समीक्षक भी थे।

डीयू के पूर्व वीसी ने सराहा

उन्होंने कहा कि नीति में स्कूली शिक्षा को लेकर एक बेहतर दृष्टि है जो उच्च शिक्षा का आधार है। सिंह ने कहा, 'उनमें प्रयोग आधारित अध्ययन की बात की गई है, जो बहुत उपयोगी है। जबतक आप स्कूली शिक्षा को नहीं सुधारेंगे, तबतक आप उच्च शिक्षा में सुधार नहीं कर सकते हैं। तर्क की धारणा, अनुभव को महत्व और विषयों की बाधाओं को तोड़ना तथा उन्हें समाज के साथ जोड़ना कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं। इससे विश्वविद्यालयों को समाज की चुनौतियों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने में मदद मिलेगी। हमें ऐसा दस्तावेज मिला है, जो कम से कम हमें एक मौका उपलब्ध कराता है।'

जामिया वीसी ने बताया मील का पत्‍थर

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने नयी शिक्षा नीति को मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत में अब उच्च शिक्षा समग्र और विविध-विषयों के साथ विज्ञान, कला और मानविकी पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। अख्तर ने कहा, 'सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक ही नियामक महत्वपूर्ण विचार है और यह दृष्टिकोण और उद्देश्य में सामंजस्य स्थापित करेगा। यह भारत में शिक्षा के विचार को मूर्त रूप देगा।'

जेएनयू वीसी बोले- सकारात्‍मक कदम

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार ने नयी शिक्षा नीति को सकारात्मक कदम करार दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफसर राहुल यादव ने नीति का स्वागत करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में बहु स्तरीय प्रवेश और निकास के विकल्प से छात्रों को विकल्प मिलेंगे और उन पर अब बोझ नहीं पड़ेगा।

डीयू के प्रोफेसर ने चेताया

वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के ही प्रोफसर नवीन गौर ने कहा कि नीति से भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के आने का रास्ता साफ होगा और बिना नियमन यह शिक्षा क्षेत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। गौर ने कहा कि इस नीति से शिक्षण संस्थाओं को अधिक स्वायत्ता मिलने के बजाय बची-खुची स्वायत्ता भी चली जाएगी। जामिया शिक्षक संघ के सचिव माजिद जमील ने नीति को लाने के समय पर सवाल उठाया।

एक सवाल- इसकी जल्दी क्यों थी?

उन्होंने कहा, 'इस समय जब कोरोना वायरस की महामारी चल रही है तो ऐसे समय में इसकी जल्दी क्यों थी। नीति ऑनलाइन अध्ययन और डिजिटल प्रयोगशाला की बात करती है लेकिन पारंपरिक कक्षा की कोई जगह नहीं ले सकता। इसमें चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम की बात की गई है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय में लागू किया गया था और लेकिन विरोध के बाद वापस ले लिया गया था।'

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की संस्था एकेडमिक फॉर एक्शन ऐंड डेवलपमेंट (एएडी) ने नयी शिक्षा नीति को निरर्थक करार दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कहा कि वह प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में निदेशक मंडल गठित करने के प्रस्ताव का विरोध करेगा।

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