एचपीएससी(हरियाणा लोक सेवा आयोग) में 2वीं रैंक हासिल करने वाले जीतेन्द्र जोशी शुरुआती दिनों में कई बार असफल हुए। लगातार मिल रहे असफलता को देखते हुए उन्हें एहसास होने लगा कि शायद को सिविल सर्विस परीक्षा के लायक ही नहीं हैं। जीतेंद्र ने बताया कि शुरू में परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता जी नौकरी के अलावा पार्ट टाइम जॉब करते थे। ताकी वो अपने बच्चों को एक अच्छी शिक्षा दे सकें।
जीतेन्द्र जोशी ने पंजाब इंजनीयरिंग कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। ग्रैजुएशन के दौरान जीतेंद्र को एहसास हुआ कि उन्हें टेक्निकल चीजों में काफी दिलचस्पी है। ऐसे में उन्हें मास्टर की पढ़ाई करनी चाहिए। जिसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू की। मास्टर के लिए जीआरई और टॉफेल दोनों ही परीक्षा दी, जहां उन्हें अच्छे नंबर स्कोर हुए। सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए वो बाहर नहीं जा सकें।
जीतेंद्रे ने बताया कि बाहर पढ़ना यानी रहना -खाना हर चीज के लिए खर्चे होते हैं और घर की आर्थिक स्थिती इतनी मजबूत नहीं थी। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वो बाहर नहीं जाएंगे।
इसी बीच उन्होंने ग्रेजुएशन के आखिरी साल में प्लेसमेंट की तैयारी शुरू कर दी। जब वो प्लेसमेंट में बैठे तो उन्हें सेंकेट हाईएस्ट पैकेज मिला। जॉब में 10 से 12 दिन काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। जीतेन्द्र के मुताबिक वो चाहते थे कि उन्हें लोगों के बीच एक्सपोजर मिलें। इसी बीच उनके परिवार के एक सदस्य ने उन्हें सिविल सर्विस की तैयारी के लिए सुझाव दिया। नौकरी छोड़कर जब आए तो उन्हें पिता ने सलाह दी कि उन्हें लॉ में एडमिशन ले लेना चाहिए।
लॉ की पढ़ाई के साथ उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। शुरू में उन्होंने कोचिंग ज्वाइन किया था, लेकिन वहां उन्हें अच्छा नहीं लगा। इसलिए उन्होंने तय किया को वो ऑनलाइन ही पढ़ाई करेंगे। तैयारी के दिनों में खुद से पढ़ाई कर उन्होंने एसएससीजीएल की परीक्षा दी। जहां उन्हें सफलता हासिल हुई। लेकिन वो सिविल सेवा में जाना चाहते थे। ऐसे में नौकरी के साथ उन्होंने तैयारी जारी रखी। दो बार लगातार असफलता मिलने के बाद उन्होंने एचपीएससी में सफलता हासिल की।