लखनऊ में अमित शाह की सरकार बनाओ, अधिकार पाओ रैली, सियासी तौर पर क्यों है अहम

बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह लखनऊ में सरकार बनाओ, अधिकार पाओ रैली करने वाले हैं। इस रैली में बीजेपी की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी भी शामिल है।

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लखनऊ में अमित शाह की सरकार बनाओ, अधिकार पाओ रैली, सियासी तौर पर क्यों है अहम 
मुख्य बातें
  • लखनऊ में सरकार बनाओ, अधिकार पाओ रैली, अमित शाह सभा को करेंगे संबोधित
  • रैली में निषाद पार्टी भी शामिल होगी।
  • चुनाव से पहले छोटे छोटे दलों से गठबंधन की कवायद तेज

2022 में देश के सबसे बड़े सूबों में से एक उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव, बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के साथ साथ छोटे छोटे दलों के लिए अहम है। यूपी का चुनाव इसलिए खास हो जाता है कि यह देश को दिशा देता है। 2024 आम चुनाव से पहले यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे कई संकेत भी देंगे लिहाजा राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। उसी क्रम में बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह सरकार बनाओ, अधिकार पाओ रैली लखनऊ में करने वाले हैं। 

लखनऊ में बीजेपी-निषाद पार्टी की मेगा रैली
केंद्रीय गृह मंत्री, उत्तर प्रदेश की अपनी एक दिवसीय यात्रा में, लखनऊ में शुक्रवार को "निषाद समाज जन सभा" में भी शामिल होंगे। कार्यक्रम शुक्रवार दोपहर दो बजे से तीन बजे के बीच का है।रैली के बारे में बताते हुए बीजेपी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि शाह के अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद और राज्य भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह रैली में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।रैली में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी मौजूद रहेंगे।

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क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि 2022 का चुनाव किसी भी दल के लिए आसान नहीं है। 2017 के चुनाव में जिस तरह से राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह ने छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सामाजिक आधार को मजबूत किया कुछ उसी तर्ज पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कदम बढ़ाया है। गुरुवार को जिस तरह से वो अपने चाता शिवपाल यादव से मिले और संकेत दिया कि वो दिली तौर पर एक साथ चलने के लिए तैयार हैं तो इसका फायदा समाजवादी पार्टी के कैडर को मिलेगा।

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समाजवादी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन कर संदेश देने की कोशिश कर रही है कि सही मायने में सर्वसमाज की वो हितैषी। ऐसी सूरत में बीजेपी के रणनीतिकारों के सामने मुश्किल बढ़ गई है। बड़ी बात यह है कि बीएसरी के कैडर वोटर में भी इस तरह की भावना घर कर गई है कि बहन जी अब उतनी मजबूत नहीं रहीं लिहाजा बीएसपी के वोटर्स किस तरफ जाएंगे यह भी बीजेपी के लिए परेशानी वाली बात है।

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