Assembly Elections 2022: 'मैं ईवीएम हूं', नतीजों से पहले एक बार फिर चर्चा के केंद्र में

इलेक्शन
ललित राय
Updated Mar 09, 2022 | 09:46 IST

वाराणसी में ईवीएम मिलने पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है। हालांकि निर्वाचन आयोग का कहना है कि जिस ईवीएम की बात हो रही है उसका इस्तेमाल ट्रेनिंग के लिए होना था। मतदान की प्रक्रिया से उन ईवीएम का लेना देना नहीं है।

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Assembly Elections 2022: मैं ईवीएम हूं, नतीजों से पहले एक बार फिर चर्चा के केंद्र में 

10 मार्च को यूपी समेत सभी पांचों राज्यों पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के नतीजों का औपचारिक ऐलान हो जाएगा। लेकिन मैं एक बार फिर चर्चा में हूं। नाम मेरा ईवीएम है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भी कहते हैं। आरोप वही पुराने कि सत्ताधारी दल मेरा इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं, सवाल उनका जो सरकार में नहीं हैं। अब वाराणसी में मैं एक जगह से दूसरी जगह के लिए रवाना हुआ कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लगने लगा कि मेरा इस्तेमाल बीजेपी अपनी जीत के लिए करने वाली है, हालांकि मेरे बॉस यानी इलेक्शन कमीशन की सफाई आ चुकी है मुझे ट्रेनिंग के मकसद से ले जाया जा रहा था। लेकिन बदकिस्मती से मैं चर्चा के केंद्र में हूं। पहले समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर हुआ क्या था

वाराणसी में एक ट्रक में ईवीएम मशीनें मिलीं
वाराणसी के पहड़िया मंडी स्थित स्ट्रांग रूम के बाहर एक गाड़ी से EVM मिली। इसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया।  बरेली के बहेड़ी में कूड़े की गाड़ी में बैलेट पेपर्स से भरे 3 बॉक्स मिले हैं। इसके बाद यहां हंगामा शुरू हो गया। चुनाव आयोग ने वाराणसी कि घटना में प्रेस नोट जारी कर बताया की ज़िला निर्वाचन अधिकारी की जाँच में सामने आया है की ये ईवीएम मशीने कर्मचारियो की ट्रेनिंग के लिए थी । मतदान वाली ईवीएम मशीन एकदम सुरक्षित हैं और सीसीटीवी कैमरे की निगरानी मैं हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मतगणना से पहले एक बार फिल खेल शुरू हो चुका है। 

चुनाव आयोग की सफाई
इस आरोप का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, 'कुछ राजनीतिक दलों ने हमारे ध्यान में लाया है कि वाराणसी जिले में कुछ ईवीएम को एक वाहन में ले जाया जा रहा था। जांच करने पर पता चला कि ये ईवीएम प्रशिक्षण के उद्देश्य से थीं। इन ईवीएम को 9 मार्च, 2022 को राज्य के एक कॉलेज में प्रशिक्षण स्थानों पर ले जाया जा रहा था और एक खाद्यान्न गोदाम में रखा गया था।' सीईओ ने आगे कहा, 'इन ईवीएम के परिवहन के दौरान, एक राजनीतिक दल के कुछ सदस्यों ने वाहन को रोक दिया और अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि वाहन में वोटों की गिनती के लिए ईवीएम हैं।'

2009 आम चुनाव के बाद बीजेपी ने उठाया था सवाल

ईवीएम की विश्वसनीयता पर पहली बार 2009 में सवाल बीजेपी ने ही उठाया था जब लालकृष्ण आडवाणी पीएम इन वेटिंग ही रह गए। ईवीएम को किस तरह हैक किया जा सकता है इसके बारे में बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हन ने भी अपनी किताब में किया था। लेकिन 2014 के आम चुनाव में मिली जीत के बाद बीजेपी ने ईवीएम के खिलाफ बोलना बंद कर दिया। 2014 से लगातार वो सभी राजनीतिक दल जिन्हें अपेक्षित जीत नहीं हासिल हुई उनके निशाने पर ईवीएम आ गई।

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