Uttarakhand assembly elections 2022: हरक सिंह रावत के बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा, हरीश रावत

इलेक्शन
ललित राय
Updated Jan 20, 2022 | 07:36 IST

हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री होगी या उन्हें कोई और रास्ता तलाशना होगा। यह वो सवाल है जिसका जवाब उन्हें और उनके समर्थकों को है। हरीश रावत से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है।

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हरक सिंह रावत के बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा, हरीश रावत 
मुख्य बातें
  • हरक सिंह रावत को बीजेपी ने निष्कासित कर दिया है।
  • कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश में हरक सिंह रावत
  • हरीश रावत बोले कि किसी भी तरह का फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा

कांग्रेस में हरक सिंह रावत की एंट्री पर सस्पेंस अभी बरकरार है। सस्पेंस इसलिए कि हरीश रावत साफतौर पर बोलने से कुछ बच रहे हैं। उनसे बार बार जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया को उनका जवाब था कि फैसला तो कांग्रेस आलाकमान को करना है। बता दें कि हरक सिंह रावत को बीजेपी मे कुछ संगीन आरोप लगाकर पार्टी और सरकार दोनों जगह से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बीजेपी ने अपने विधायकों के तोड़ने के साथ हरक सिंह रावत के बारे में कहा कि वो अपने परिवार के सदस्यों को टिकट देने का दबाव बना रहे थे जबकि पार्टी की नीति साफ है कि एक ही परिवार के एक सदस्य को टिकट दिया जाएगा। 

हरक सिंह रावत पर अभी फैसला नहीं
बीजेपी से बाहर किए जाने के बाद हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की तारीफ की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बदलाव का इंतजार कर रहा है और वो उम्मीद कांग्रेस पर जाकर टिकती है। उन्होंने कांग्रेस के लिए काम करने की इच्छा जाहिर की। वो प्रदेश के कुछ कद्दावर नेताओं से मिले। लेकिन हरीश रावत मे 2016 के प्रसंग की याद दिला दी। 2016 का प्रसंग आते ही हरक सिंह रावत ने कहा कि हरीश रावत तो उनके बड़े भाई हैं। वो उनसे 100 बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं। दरअसल, हरक सिंह रावत ने जब कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जाहिर की तो हरीश रावत की तरफ से बयान आया कि क्या वो 2016 की गलती के लिये माफी मांगेंगे। 

क्या है जानकार राय
जानकारों का कहना है कि हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री इतनी आसान नहीं होने वाली है। अगर हरक सिंह रावत की एंट्री हो भी गई तो अब उनकी राह आसान नहीं होगी। प्रदेश की जनता के साथ साथ उत्तरांखड में अलग अलग धड़ों के नेता भी अब समझ चुके हैं कि वो किस तरह से दबाव की राजनीति करते हैं। लेकिन किसी भी पार्टी के लिए सत्ता में वापसी या सत्ता में बने रहना महत्वपूर्ण होता है लिहाजा राजनीतिक दल या उसके कद्दावर नेताओं को कुछ समझौते करने पड़े जाते हैं। 

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