नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सियासत में सबसे ज्यादा चर्चा आखिर के 3 चरणों की है जो लड़ाई पूर्वांचल में लड़ी जा रही है और उसका मुख्य केंद्र है गोरखपुर। गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं योगी आदित्यनाथ जो मौजूदा मुख्यमंत्री है लेकिन योगी आदित्यनाथ के गढ़ में जब विपक्ष भी यहां पर मौजूदगी दर्ज करा रहा है और माना जा रहा है कि इस सीट की लड़ाई जितनी आसान नजर आ रही है उतनी आसान है नहीं।
योगी आदित्यनाथ को स्थानीय बोलचाल में 'महाराज' के रूप में जाना जाता है। बताते हैं कि गोरखपुर के अधिकांश मतदाता चुनाव में विकल्प या पसंद के बारे में सोचने को भी तैयार नहीं हैं।
यहां के लोगों से TIMES NOW NAVBHARAT संवाददाता नैना यादव ने युवाओं से जब बातचीत की तो देखें जरा आखिर उनका क्या कहना है वह किस नेता को क्यों मौका देना चाहते हैं और किसे मौका क्यों नहीं देना चाहती है इसकी वजह उनके पास में है।
1998 से लोकसभा में पांच बार गोरखपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले योगी आदित्यनाथ ने यह सुनिश्चित किया है कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके निर्वाचन क्षेत्र पर सभी का ध्यान जाए। वहीं सपा से सुभवती शुक्ला मैदान में हैं। सुभावती के पति, दिवंगत उपेंद्र दत्त शुक्ला, भाजपा के उपाध्यक्ष थे और योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता स्थानीय हलकों में प्रसिद्ध है।
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2020 में जब शुक्ला की मृत्यु हुई, तो योगी उनके घर नहीं गए और इससे उनका परिवार परेशान हो गया। सुभावती अपने अभियान में 'ब्राह्मण गौरव और पहचान' का उपयोग कर रही हैं और क्षेत्र में ब्राह्मण-ठाकुर प्रतिद्वंद्विता को भुनाने की उम्मीद कर रही हैं।