यूपी विधानसभा चुनाव में 4 अखिलेश यादव मैदान में, जानिए कौन कहां से अजमा रहे है किस्मत

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भाषा
Updated Feb 28, 2022 | 12:32 IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अब तक पांच चरणों का मतदान हो चुका है। यह चुनाव इसलिए और दिलचस्प हो गया है कि यह अलग-अलग विधानसभा सीटों पर चार अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे है।

In UP assembly elections 2022, 4 Akhilesh Yadav is in the fray, know who is trying his luck from where
यूपी चुनाव 4 अखिलेश यादव किस्मत अजमा रहे हैं।  |  तस्वीर साभार: Twitter

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा की चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत इस नाम के चार ‘योद्धा’ (उम्मीदवार) मैदान में हैं। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव नाम के चार उम्मीदवारों में सपा प्रमुख समेत दो उम्मीदवार सपा के हैं जबकि एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के तौर पर अपनी तकदीर आजमा रहे हैं।

करहल से चुनाव मैदान में सपा प्रमुख अखिलेश यादव 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चुनाव क्षेत्र मैनपुरी जिले के करहल में मतदान हो चुका है और मतदाताओं ने उनकी किस्मत इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में ‘बंद’ कर दी है। अखिलेश यादव नाम के दूसरे उम्मीदवार आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से हैं। इसके अलावा अयोध्‍या जिले की बीकापुर विधानसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार का भी नाम अखिलेश यादव है। संभल के गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी अखिलेश हैं।

संपर्क करने पर सपा प्रमुख के तीनों हमनामों ने बताया कि उसके लिए यह नाम होना एक लाभ है। सात फरवरी को समाजवादी पार्टी ने मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार अखिलेश यादव की घोषणा की तो कुछ लोगों को लगा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव दो सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। चूंकि इसके पहले ही सपा प्रमुख के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा हो चुकी थी और आजमगढ़ उनका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है तो लोगों ने अनुमान लगाया कि संभवत: वह दो सीटों से चुनाव लड़ें। लेकिन पार्टी नेताओं ने स्थिति साफ कर दी और बताया कि मुबारकपुर से घोषित सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव 2017 में भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और बसपा के शाह आलम से मात्र 688 मतों से पराजित हुए थे।

मुबारकपुर से सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव

मुबारकपुर से सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र, के लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है, लोग मेरे प्रति सहानुभूति महसूस करते हैं, क्योंकि मैं इस सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव बहुत ही कम अंतर से हार गया था। उन्होंने कहा कि अभी, सभी लोग चाहते हैं कि अखिलेश यादव चुनाव जीते। यहां के लोग कह रहे हैं कि चूंकि अखिलेश यादव (सपा प्रमुख) हैं और वे उप्र का मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, इसलिए मुबारकपुर से विधायक भी अखिलेश यादव को होना चाहिए।

मुबारकपुर सपा प्रत्याशी के भाग्य का फैसला सातवें और अंतिम चरण में सात मार्च को होगा। मुबारकपुर से सपा प्रत्याशी ने कहा कि उनके पिता ने उनका नाम अखिलेश रखा है क्योंकि उनके तीन भाइयों का नाम “ईश” के साथ समाप्त हुआ - अवधेश यादव, उमेश यादव और अमरेश यादव।

बीकापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश यादव

अयोध्या जिले के बीकापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश यादव ने कहा कि मैं 2016 में कांग्रेस में शामिल हुआ था और इससे पहले, मैं समाजवादी पार्टी के साथ था। पार्टी (सपा) को छोड़ने के कारण पूछने पर उन्होंने बताया, मुझे उचित सम्मान नहीं दिया गया। उन्होंने एक दिलचस्प घटना को याद करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले जब मैं अपने समर्थकों के साथ निर्वाचन क्षेत्र में, प्रचार कर रहा था तो मेरे एक समर्थक ने 'अखिलेश भैया' जिंदाबाद के नारे लगाए तो इसने कुछ आसपास खड़े सपा समर्थकों में उत्साह बढ़ा और वे भी जवाब में नारे लगाने लगे। बाद में, उन्हें एहसास हुआ कि वे वास्तव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में नारे लगा रहे हैं। उनमें कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह लेकर अखिलेश नाम का कौन आ गया और इसके बाद वे लोग सतर्क हो गये।

गुन्नौर में निर्दलीय उम्मीदवार अखिलेश यादव

इसके अलावा गुन्नौर में निर्दलीय उम्मीदवार लखवेंद्र उर्फ अखिलेश यादव के क्षेत्र में मतदान हो चुका है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका जन्म के बाद नाम लखवेंद्र सिंह रखा गया लेकिन उनकी दादी उन्हें "अखिलेश" कहकर पुकारा करती थीं और धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उन्हें "अखिलेश" कहने लगे। लखवेंद्र ने बताया कि मेरे चाचा ने मेरा नाम लखवेंद्र सिंह रखा था लेकिन मेरी दादी और मेरी मां ने मुझे अखिलेश कहना शुरू कर दिया। लखवेंद्र के पिता राम खिलाड़ी सिंह गुन्‍नौर से सपा के उम्मीदवार हैं और लखवेंद्र को ‘डमी’ उम्मीदवार के तौर पर यहां नामांकन कराया गया। उन्‍होंने कहा कि उनके लिए अखिलेश यादव सब कुछ हैं और समाजवाद उनके खून में है। दस मार्च को जब परिणाम आएगा तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितने अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचते हैं।
 

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