अमित शाह से मिलने पर राजभर ने दी सफाई, कोई पुरानी तस्वीर को भी पोस्ट कर सकता है, मैं चुनावी तैयारी में व्यस्त

सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि वो बीजेपी के साथ नहीं जा रहे हैं। वो पूरी तरह से अखिलेश यादव के साथ हैं और 2024 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे।

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अमित शाह से मिलने पर राजभर ने दी सफाई, कोई पुरानी तस्वीर को भी पोस्ट कर सकता है, मैं चुनावी तैयारी में व्यस्त 
मुख्य बातें
  • ओम प्रकाश राजभर, सपा गठबंधन के साथ मिलकर लड़े थे चुनाव
  • ओम प्रकाश राजभर की पार्टी को मिली थी 6 सीटें
  • बीजेपी के साथ जाने से ओम प्रकाश राजभर का इनकार

सियासत में सब कुछ अंतिम नहीं होता है। सियासत मतलब संभावना। अब जब सियासत का मतलब संभावना है तो कुछ भी हो सकता है। योगी सरकार के शपथ से पहले इस तरह की खबरें आ रही थीं कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष पाला बदल सकते हैं यानी कि एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं और उनका कोई एक विधायक मंत्री भी बन सकता है। लेकिन अब ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि वो समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ हैं और उसके साथ आम चुनाव 2024 का चुनाव भी लड़ेंगे। 

अमित शाह से मिलने पर राजभर ने दी सफाई
ओम प्रकाश राजभर, सुहेलदेव, भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख, उनकी यूनियन एचएम अमित शाह से मुलाकात की रिपोर्ट पर कहा कि रिपोर्ट्स निराधार हैं। न मैं दिल्ली गया और न ही किसी से मिला। मैं स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों में व्यस्त हूं, सपा-गठबंधन के उम्मीदवारों को विजयी बनाने के लिए काम कर रहा हूं।वो पुरानी तस्वीरें हैं। कोई भी पुरानी तस्वीरों को दोबारा पोस्ट कर सकता है और जो चाहे कह सकता है:


बीजेपी के दिग्गज चेहरों से मिलने की थी खबर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस तरह की खबरें आ रही थीं कि ओम प्रकाश राजभर ने अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और सुनील बंसल से मुलाकात की थी और उन्होंने आगे की योजना पर चर्चा की है। लेकिन ओम प्रकाश राजभर ने खुद संभावनाओं पर विराम लगा दिया है। अब सवाल यह है कि राजभर का इनकार सिर्फ दिखावा है या वास्तव में वो एनडीए का हिस्सा बनना नहीं चाहेंगे। इस विषय पर जानकारों की राय अलग अलग है। 

क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि इसे दो तरह से समझने की जरूरत है। पहली बात तो यह है कि राजनीति का मिजाज देखकर नेता अपने फैसले लेते हैं और समय पर दोष मढ़कर खुद का बचाव करते हैं। ओम प्रकाश राजभर के बारे में कहा जाता है कि वो अपनी सुविधा के हिसाब से राजनीति करते रहे हैं उनका अतीत खुद उदाहरण है। अब सबसे बड़ी बात यह समझने की है कि सुभासपा का स्वरूप क्षेत्रीय है और उसका प्रभाव कुछ खास जिलों तक सीमित है, इस तरह के दलों के पास संसाधनों की कमी होती है।

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ऐसे में अगर सत्ता पक्ष के साथ ना खड़ी हो तो उसके लिए आगे की राह कठिन होगा। अगर 2022 के नतीजों को देखें तो 2027 तक सभी दलों को इंतजार करना होगा। जहां तक 2024 आम चुनाव की बात है तो उससे जितना कुछ फायदा सपा को मिलेगा उतना फायदा सुभासपा को नहीं मिलेगा। ऐसे में अगर ओम प्रकाश राजभर कोई फैसला करें तो उसे अप्रत्याशित नहीं कहा जाएगा। 

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