Goa Assembly Elections 2022: किसका होगा गोवा, क्षेत्रीय दल भी चुनौती देने के लिए तैयार

गोवा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है। लेकिन राष्ट्रीय दलों को चुनौती देने के लिए क्षेत्रीय दल भी ताल ठोंक रहे हैं। आम आदमी पार्टी और टीएमसी के साथ साथ रिवोल्यूशनरी गोअंस ने भी चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।

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किसका होगा गोवा, क्षेत्रीय दल भी चुनौती देने के लिए तैयार 

2022 के विधानसभा चुनाव में गोवा की गद्दी पर कौन आसीन होगा उसका फैसला वहां की जनता करेगी। मौजूदा बीजेपी सरकार को यकीन है कि एक बार फिर गोवा की जनता उन पर भरोसा करेगाी। लेकिन इन उम्मीदों को चुनौती जहां एक तरफ राष्ट्रीय दल दे रहे हैं वहीं क्षेत्रीय दल भी कमर कस मैदान में उतरे हैं। गोवा की जमीन पर आम आदमी पार्टी के संयोजक दस्तक देते रहते हैं और लुभावनी घोषणाओं के साथ प्रमोद सावंत सरकार की खामियों को उजागर करते हैं। इसके साथ ही टीएमसी भी दमखम के साथ चुनावी ताल ठोंक रही हैं। इन सबके बीच रिवोल्यूशनरी गोअंस यानी आरजी भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं और उसके लिए बकायदा गोवा सूराज पार्टी का गठन भी किया है। 

चुनावी समर में एक और क्षेत्रीय संगठन उतरने के लिए तैयार
मनोज पूरब द्वारा स्थापित रिवोल्यूशनरी गोअंस ने ढाई साल पहले एक गैर-राजनीतिक संगठन के रूप में धर्म या जाति की दीवार तोड़कर सभीगोवावासियों को एकजुट करने के लिए शुरू किया था। संगठन का उद्देश्य अपनी मातृभूमि में गोवावासियों के अस्तित्व के लिए लड़ना उनकी पहचान संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना है। आंदोलन के पीछे का विचार गोवा मूल के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों के लिए लड़ना था।  फरवरी 2021 में क्रांतिकारी गोवावासियों ने उन्हें एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करने और मान्यता देने के लिए चुनाव आयोग में आवेदन किया। सात महीने बीत जाने के बाद भी मान्यता नहीं मिली है। क्रान्तिकारी गोवा के लोग समझते हैं कि निहित ताकतों ने उन्हें एकजुट आम चुनाव चिह्न पर चुनाव मैदान में प्रवेश करने से रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसलिए तरह तरह की कृत्रिम बाधाएं सामने आती हैं। लेकिन क्रांतिकारी गोवा के संस्थापक और प्रमुख मनोज पूरब ने घोषणा की है कि वे गोवा सू-राज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे। वे फरवरी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में गोवा के सभी 40 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ेंगे। दिसंबर के मध्य तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देंगे।

'मूल गोअंस की हिफाजत मूल मुद्दा'
क्रांतिकारी गोवा भी अलग अलग तरीके तरीके से क्षेत्रीय राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी है।मनोज पूरब कहते हैं कि क्रांतिकारी गोवावासियों ने ढाई साल पहले POGO (गोअन मूल के लोग) विधेयक का मसौदा तैयार किया था। लेकिन असली भूमिपुत्र 1961 से पहले गोवा में पैदा हुए लोग और परिवार हैं। हम मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा बताई गई 30 साल के अधिवास की परिभाषा से सहमत नहीं हैं।उनका यह भी कहना है कि हम मूल गोवावासियों की पहचान की रक्षा के लिए गोवा मूल के व्यक्ति (POGO) विधेयक को पारित करने पर जोर दे रहे हैं।

'भ्रष्ट राजनेताओं से गोवा को कराएंगे आजाद'
गोवा के राजनेताओं ने बहुत सारी संपत्ति और धन हड़प लिया है जबकि गोवा के लोग अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गोवा के राजनेता स्थानीय लोगों को अपना गुलाम बना लिया है और अपने राजनीतिक मालिक पर निर्भर हैं। राजनेता नौकरी के झूठे वादे करते रहते हैं। गोवा प्रवासियों के लिए एक आश्रय स्थल बन गया है। स्थानीय उद्योगों में अस्सी प्रतिशत नौकरियां गोवा के लोगों को मिलनी चाहिए। गोवावासी औद्योगिक संस्थानों के लिए अपनी जमीन, पानी और बिजली प्रदान करते हैं और बदले में उन्हें प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। यही नहीं औद्योगिक सम्पदा को प्रवासी लोग हड़प रहे हैं। पूरब ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने हमारी छवि खराब करने और हमें नष्ट करने की पूरी कोशिश की है। लेकिन हम और मजबूत हुए हैं। क्रांतिकारी गोवा को गोवा वापस गोवा के हाथों में लाने से कोई नहीं रोक सकता है। हमें गोवा को उन विभिन्न राजनीतिक दलों से मुक्त करना होगा, जिन्होंने आजादी के बाद से यहां शासन किया है।

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