UP Assembly Election Result 2022: उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की तस्वीर अब साफ हो चुकी है। चुनाव से पहले कई नेताओं ने राजनीतिक दांव खेल कर अपने दल बदले थे, जिसमें योगी सरकार के मंत्री से लेकर दूसरे दलों को वरिष्ठ नेता शामिल थे। आइए जानते हैं इन दल-बदलुओं का हाल:
स्वामी प्रसाद मौर्य -- हारे
योगी सरकार में कद्दावर मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बार सपा के टिकट से फाजिल नगर से चुनाव लड़ा। वह चुनाव हार गए हैं। यहां से बीजेपी को जीत मिली है। उनके खिलाफ भाजपा ने सुरेंद्र कुशवाहा को मैदान में उतारा था। बसपा ने ईलियास और कांग्रेस ने सुनील मनोज सिंह को मैदान में उतारा है। पिछली बार यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। वह पिछली बार पडरौना सीट से भाजपा विधायक बने थे। लेकिन इस बार पडरौना और उसके पास अच्छा-खासा प्रभाव रखने वाले आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद, मौर्य ने फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा है।
दारा सिंह चौहान-- जीते
योगी कैबिनेट में मंत्री रह चुके दारा सिंह चौहान ने चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी का दामन थामन लिया था। वह घोसी सीट से चुनाव लड़े, जहां से वह जीत गए हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने विजय राजभर, बसपा ने वसीम इकबाल और कांग्रेस ने प्रियंका यादव को उम्मीदवार मैदान में उतारा। ओबीसी की अनदेखी के आरोप पर योगी सरकार से अलग हुए थे।
हरिओम यादव- हारे
फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज विधानसभा सीट से मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव मैदान चुनाव हार गए हैं। वह पहले समाजवादी पार्टी में थे। लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा से अपनी किस्मत आजमाई। हरिओम को सपा के सर्वेश से चुनौती मिली, जिन्होंने यहां से जीत दर्ज की। खास बात यह है कि हरिओम यादव को सर्वेश का राजनीतिक गुरू माना जाता है। ऐसे में गुरू-चेले की यह लड़ाई बेहद दिलचस्प रही। बसपा ने यहां पंकज मिश्रा तो कांग्रेस ने प्रतिमा पाल को यहां से मैदान में उतारा।
अवतार सिंह भड़ाना-हारे
स्वामी प्रासद मौर्य और दारा सिंह चौहान की तरह अवतार सिंह भड़ाना ने भी चुनावों से पहले भाजपा को छोड़ सपा-आरएलडी गठबंधन का दामन थाम लिया था। उनका मुकाबला भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह से मुकाबला है। जेवर सीट पर बसपा से नरेंद्र भाटी और कांग्रेस ने मनोज चौधरी को मैदान में उतारा है।
धर्म सिंह सैनी- हारे
सहारनपुर जिले की नकुड़ विधासनभा सीट से भाजपा से सपा में आए धर्म सिंह सैनी चुनाव हार गए हैं। सैनी योगी सरकार में मंत्री थे और उनकी वजह से अखिलेश यादव ने कांग्रेस छोड़ सपा में आए इमरान मसूद की भी नाराजगी मोल ले थी। धर्म सिंह सैनी चार बार विधायक रह चुके हैं। सैनी के खिलाफ भाजपा ने मुकेश चौधरी को मैदान में उतारा था, जिन्होंने यहां से जीत हासिल की है। बसपा से साहिल खान और कांग्रेस से रणधीर सिंह चौहान यहां से प्रत्याशी रहे।
अदिति सिंह- जीती
कांग्रेस के गढ़ रायबरेली से भाजपा ने पूर्व कांग्रेस नेता अदिति सिंह को मैदान में उतारा था, जिन्होंने जीत हासिल की है। अदिति सिंह को समाजवादी पार्टी के आरपी यादव, कांग्रेस के मनीष सिंह चौहान और बसपा के मोहम्मद अशरफ की ओर से टक्कर मिली। अदिति सिंह प्रियंका गांधी को रायबरेली से लड़ने की चुनौती दे चुकी हैं।
लालजी वर्मा- जीते
अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से लालजी वर्मा चुनाव जीत गए हैं। लालजी वर्मा के खिलाफ बसपा के प्रतीक पांडेय और निषाद पार्टी के अवधेश कुमार मैदान में थे। निषाद पार्टी भाजपा के गठबंधन में शामिल है, जबकि कांग्रेस ने निशात फातिमा को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार इस सीट से बसपा ने जीत दर्ज हासिल की थी। लालजी वर्मा 5 बार से विधायक हैं और कांशीराम के समय से बसपा से जुड़े थे। लेकिन चुनाव के पहले वह सपा में शामिल हो गए थे।
विनय शंकर तिवारी- हारे
अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र में सेंध लगाने के लिए ब्राह्मण वोटरों में सेंध लगाने के लिए पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के परिवार को साथ में लिया है। हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी इस बार सपा के टिकट से चिल्लूपार में चुनावी मैदान में हैं। विनय शंकर तिवारी बसपा से सपा में शामिल हुए हैं। उनके खिलाफ भाजपा के राजेश त्रिपाठी चुनावी मैदान में हैं। बसपा से राजेंद्र सिंह पहलवान और कांग्रेस से सोनिया शुक्ला मैदान में हैं। यहां विनयशंकर तिवारी बीजेपी प्रत्याशी से 21 हजार से अधिक वोटों से पीछे चल रहे हैं। रात 9 बजे के बाद भी यहां मतगणना जारी थी, लेकिन मतों के अंतर को देखते हुए इसे उनकी निर्णायक हार के तौर पर ही देखा जा रहा है।
सुरेंद्र सिंह- हारे
भाजपा से पाला बदलने वालों में बलिया के सुरेंद्र सिंह भी अहम हैं। वह बलिया के बैरिया विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक थे। लेकिन इस बार उनका पार्टी ने टिकट दिया और उनकी जगह यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को उम्मीदवार बना दिया। टिकट से नाराज सुरेंद्र सिंह वीआईपी पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे थे। बीएसपी ने यहां पूर्व विधायक सुभाष यादव को चुनावी मैदान में उतारा है, जो जीत की ओर अग्रसर हैं।
राम अचल राजभर-आगे
राम अचल राजभर का बसपा से पुराना नाता रहा है। वह पिछले 35 साल से बसपा से जुड़े हुए थे। वह बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मायावती ने उन्हें भी लालजी वर्मा की तरह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बसपा से निष्कासित कर दिया था। और इसके बाद राम अचल राजभर ने सपा का दामन थाम लिया। राम अचल अपनी परंपरागत अकबरपुर नगर सीट से इस बार भी मैदान में हैं। वह 5 बार विधायक रह चुके हैं। 2017 की तरह इस बार भी वह पार्टी से ज्यादा अपनी साख पर चुनाव लड़ रहे हैं। और ओबीसी, मुस्लिम वोटों के समीकरण से जीत की उम्मीद कर रहे हैं। रात 9 बजे के बाद भी यहां मतगणना जारी थी, लेकिन राम अचल राजभर ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर 11 हजार से अधिक वोटों के अंतर से बढ़ बना ली थी।
माधुरी वर्मा- हारीं
भाजपा से सपा में आईं माधुरी वर्मा नानपारा सीट से चुनाव हार गई हैं। यहां से भाजपा के सहयोगी अपना दल ने राम निवास वर्मा को टिकट दिया था, जिन्होंने जीत हासिल की है, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने हकीकत अली को प्रत्याशी बनाया था।