#UPElection2022: गोरखपुर को योगी का गढ़ माना जाता है। गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपना शहर है गोरखपुर और इसी शहर की विधानसभा है गोरखपुर सदर जिसे गोरखपुर शहर के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर सबसे हॉट सीट बन चुकी है क्योंकि सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भारतीय जनता पार्टी ने यहां से विधानसभा उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा का यह क्षेत्र गोरखपुर की उस संसदीय सीट में आता है जहां से योगी पांच बार लगातार सांसद रह चुके हैं। योगी जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, वह जगह भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आती है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर से रिश्ता नहीं टूटा। वहां का प्रेम उनके मन में इतना है कि हर महीने वह कई कई बार गोरखपुर जाते और वहां ठहरते। पूरे पांच साल नियमित रूप से वहां जनता दरबार भी लगाया गया। ऐसा बहुत पहले से कहा जाता है कि गोरखपुर में हर धर्म के व्यक्ति सीएम योगी को पसंद करते हैं और योगी भी बिना धार्मिक भेदभाव के लोगों की मदद करते हैं।
यही वजह है कि विरोधी पर उन पर निशाना साध रहे हैं। बीते दिन बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati Tweet) ने ट्वीट करते हुए लिखा- शायद पश्चिमी यू.पी. की जनता को यह मालूम नहीं है कि गोरखपुर में योगी जी का बना मठ जहां वो अधिकांश निवास करते हैं, वो कोई बड़े बगंले से कम नहीं है। यदि इस बारे में भी यह बता देते तो बेहतर होता।
इस पर पलटवार करते हुए सीएम योगी के पर्सनल ऑफिस की ओर से ट्वीट किया गया और लिखा- बहन जी! बाबा गोरखनाथ जी की तपोभूमि गोरखपुर स्थित श्री गोरक्षपीठ में ऋषियों-संतों एवं स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिवीरों की स्मृतियों को संजोया गया है। हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर हैं। 'सामाजिक न्याय' का यह केन्द्र सबके कल्याण हेतु अहर्निश क्रियाशील है। कभी आइए, शांति मिलेगी।
इस सीट पर अबतक हुए 17 चुनावों में 10 बार जनसंघ, हिंदू महासभा और भाजपा का परचम लहरा चुका है। एक बार जनसंघ के नेता को जनता पार्टी के बैनर तले जीत मिली। अपने अभ्युदय काल और इंदिरा-सहानुभूति लहर को मिलाकर छह बार कांग्रेस को जीत मिली। फिलहाल तीन दशक से कांग्रेस को जमानत बचाने के भी लाले पड़ गए हैं। सपा-बसपा का तो अब तक खाता भी नहीं खुला।
लोकसभा चुनावों के दौरान योगी के पक्ष में अब तक पड़ने वाले वोट तो यही बताते हैं कि आदित्यनाथ वहां से अजेय रहे हैं। अमूमन निकटतम प्रतिद्वंदी से हार-जीत का फासला करीब तीन गुने का होता है। इस एकतरफा मुकाबले में अधिकांश की जमानत जब्त हो जाती है। गोरक्षपीठ के नाते जाति, धर्म और मजहब के सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं। सब लोग योगी के पक्ष में उसी तरह एक हो जाते हैं जैसे खिचड़ी में चावल-दाल। अबतक के चुनावी आंकड़े इसके प्रमाण हैं।
1998 से लेकर 2014 तक लगातार पांच बार गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए योगी आदित्यनाथ वोटों के लिहाज से गोरखपुर सदर/शहर विधानसभा क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से करीब तीन गुने अधिक मार्जिन से आगे रहे हैं। यही वजह है कि न सिर्फ भाजपाई बल्कि आमजन भी गोरखपुर शहर सीट पर योगी को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद यहां की लड़ाई को विपक्ष के लिए रस्म अदायगी मान रहा है। 1967, 1974 और 1977 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर की सीट पर जनसंघ के दबदबा रहा। 1977 के चुनाव में जनसंघ जनता पार्टी का हिस्सा बनकर चुनाव मैदान में था। इसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव को छोड़ दें तो 1989 से लेकर अबतक यह सीट भाजपा के पाले में रही।
अब जरा गोरखपुर शहर क्षेत्र में सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ को हासिल वोटों पर गौर करें। योगी और उनके खिलाफ लड़े अन्य दलों के प्रत्याशियों में दूर-दूर तक कोई मुकाबला ही नहीं दिखा। योगी पांच बार सांसद रहे हैं। हर बार शहर क्षेत्र से उन्हें बम्पर वोट मिले। उनके आखिरी दो चुनावों के आंकड़ों की पड़ताल करें तो 2009 के संसदीय चुनाव में उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पड़े 122983 मतों में से 77438 वोट मिले जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के विनय शंकर तिवारी को सिर्फ 25352 वोट। उस समय यहां सपा को महज 11521 मत हासिल हुए थे।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तो योगी को मिले वोटों का ग्राफ और बढ़ गया। 2014 के संसदीय चुनाव में गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पोल हुए 206155 वोटों में से अकेले 133892 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहीं सपा की राजमती निषाद को 31055 और बसपा के रामभुआल निषाद को 20479 वोट ही हासिल हो सके।