UP Exit Polls 2022: 10 मार्च को जीत किसी की भी हो यूपी की राजनीतिक सियासत का बदलेगा इतिहास

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ललित राय
Updated Mar 08, 2022 | 14:05 IST

10 मार्च को औपचारिक नतीजों के ऐलान से पहले एग्जिट पोल के नतीजों ने कई दलों की धड़कनें बढ़ा दी है। कोई इसे मानसिक दबाव बनाने की चाल बता रहा है तो किसी का कहना है कि वो एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं करते हैं।

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UP Exit Polls 2022: 10 मार्च को जीत किसी की भी हो यूपी की राजनीतिक सियासत का बदलेगा इतिहास 
मुख्य बातें
  • एग्जिट पोल में बीजेपी को बढ़त
  • समाजवादी गठबंधन सरकार बनाने से दूर
  • औपचारिक नतीजों का ऐलान 10 मार्च को होगा

10 मार्च को यूपी समेत सभी पांच राज्यों के नतीजों का औपचारिक ऐलान हो जाएगा। इस बीच एग्जिट पोल के अनुमानों ने किसी की नींद उड़ा दी है तो किसी खेमे में राहत है। एग्जिट पोल के मुताबिक यूपी में  बीजेपी एक बार फिर सत्ता में वापसी करती नजर आ रही है। 2017 की तुलना में बीजेपी की सीट संख्या में कमी आई है लेकिन 202 के जादुई आंकड़े से आगे है। इन सबके उलट समाजवादी गठबंधन की सीट संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन वो सरकार बनाने से दूर है। अब सवाल यह है कि आखिर 10 मार्च का नतीजा इतिहास रचने वाला क्यों होगा। 

किसी की हो जीत या हार बनेगा इतिहास
2022 यूपी विधानसभा चुनाव का नतीजा सिर्फ 2022 तक सीमित नहीं है। इसका असर आम चुनाव 2024 पर भी पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब होती है तो तीन दशक से ज्यादा समय के बाद कोई दल इतिहास रच रहा होगा। यूपी जैसे सूबे में सरकार का रिपीट होना अपने आप में इतिहास होगा। दरअसल यूपी की सियासत में जहां जातियों का बोलबाला वहां किसी सरकार को दोबारा सत्ता में आना किसी अचंभे से कम नहीं है। 2022 के नतीजे इस मायने में भी अहम होंगे क्योंकि राजनीतिक दल जो आज तक जातियों की गोलबंदी पर ध्यान देते रहे हैं उन्हें सोचना होगा। बीएसपी सांसद मलूक नागर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमें नए सिरे से विचार करना होगा। 

विपक्ष को अपनी रणनीति को और देना होगा धार
अगर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब नहीं होती है तो लोगों के लिए वो सब मिथक सच्चाई में तब्दील नजर होते नजर आएंगे कि जिस दल के सीएम मे गौतमबुद्धनगर का दौरा किया सरकार बनाने में नाकाम रहा। हालांकि राजनीति में मिथक सिर्फ मिथक होते हैं। 2022 में अगर समाजवादी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब नहीं होती है तो उसे समझना होगा कि सामाजिक समीकरणों को पेन के जरिए और कागज पर माथापच्ची से काम नहीं चलने वाला है यूपी की जनता के सामने दमदार विपक्ष की भूमिका दिखाना होगा। 

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