Uttarakhand Assembly Elections 2022: चुनावी समर में पौड़ी का नकोट गांव क्यों है चर्चा में, एक नजर

14 मार्च को उत्तराखंड की सभी 70 सीटों के लिए जनता जनार्दन मे उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद की। इन सबके बीच पौड़ी जिले का नकोट गांव चर्चा में हैं। पलायन के शिकार रहे इस गांव में बीजेपी से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी मे अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

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Uttarakhand Assembly Elections 2022: चुनावी समर में पौड़ी का नकोट गांव क्यों है चर्चा में 
मुख्य बातें
  • उत्तराखंड की सभी 70 सीटों के लिए मतदान
  • पौड़ी के नकोट गांव में पगले वोटर्स की संख्या 25 थी जो अब बढ़कर 96
  • बीजेपी सांसद अनिल बलूनी ने अपना वोट, अपने गांव की मुहिम की शुरुआत की थी।

2022 में उत्तराखंड में किसकी सरकार बनेगी उसका औपचारिक ऐलान 10 मार्च को हो जाएगा। लेकिन उससे पहले जनता जनार्दन ने सभी 70 सीटों के लिए मताधिकार इस्तेमाल किया। इस चुनाव की सबसे बड़ी खासियत रही है कि पांच बड़े मुद्दों में पलायन का भी मुद्दा शामिल था। उत्तराखंड के गांवों से जिस तरह से लोगों का पलायन हुआ है उसके लिए बीजेपी और कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना भी साधा था। इन सबके बीच पौड़ी जिले का नकोट गांव चर्चा में है। इस गांव में बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। 

'उत्तराखंड का मिजाज बीजेपी के साथ'
मत देने के बाद अनिल बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड का मिजाज बीजेपी के साथ है। 10 मार्च को जब ईवीएम की पेटी खुलेगी तो नतीजा बीजेपी के पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पलायन का मुद्दा गंभीर है। लेकिन पिछले पांच वर्ष में बीजेपी सरकार के प्रयास की वजह से ऐसे गांव हो घोस्ट विलेज कहलाते थे अब उन गांवों में लोगों की वापसी हुई है। उन्होनें कहा कि यह बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी है। अनिल बलूनी ने कहा कि नकोट को आप खुद देख सकते हैं।यहां से बड़ी संख्या में लोग शहरों की तरफ गए। लेकिन अब लोग वापस आ रहे हैं। 
नकोट की तस्वीर
पलायन की मार से नकोट गांव में केवल 25 वोटर रह गए थे।
अनिल बलूनी की मुहिम 'अपना वोट अपने गांव' के चलते बढ़कर 96 वोटर।

'राज्य में कांग्रेस और आप का वजूद नहीं'
अनिल बलूनी ने कहा कि राज्य में कांग्रेस बिना किसी मुद्दे के चुनावी मैदान में थी। जिस तरह से कांग्रेस को स्थानीय स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ा है उससे आप खुद नतीजों का आंकलन कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी को पहाड़ के लिए अप्रासंगिक करार दिया। आम आदमी पार्टी दिल्ली में किस तरह से सरकार चला रही है उसके बारे में हर एक शख्स को पता है। उत्तराखंड की जनता समझती है कि उसका भविष्य किस दल में सुरक्षित है।  

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