Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी आ गए। यूपी की कमान दोबारा उनके हाथों में होगी। चुनाव प्रचार के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब लगा कि सूबे की लड़ाई कठिन हो गई है और पासा किसी तरफ भी पलट सकता है लेकिन सात मार्च को आए एग्जिट पोल ने 10 मार्च को आने वाले चुनाव नतीजों का संकेत दे दिया। हुआ भी ऐसा ही। भाजपा 265 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक बढ़त बना चुकी है। अंतिम नतीजे आने तक इसमें कुछ सीटों की वृद्धि या कमी हो सकती है। राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा को 202 सीटों की जरूरत पड़ेगी जिससे वह काफी आगे है। यूपी का यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है, इसके कई राजनीतिक नहितार्थ और संकेत हैं। यहां हम भगवा पार्टी की जीत के ठोस पांच कारणों के बारे में चर्चा करेंगे-
लोगों को प्रभावित किया सुरक्षा का मुद्दा
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद लोगों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया। 2017 से पहले प्रदेश में हर जगह एक असुरक्षा का माहौल था। इसकी एक प्रमुख वजह पूर्व की समाजवादी सरकार को माना जाता है। सपा पर आरोप लगता रहा है कि सत्ता में रहते हुए उसने माफियाओं, अपराधियों एवं असमाजिक तत्वों को संरक्षण दिया। ये माफिया और अपराधिक तत्व सत्ता की आड़ में आम लोगों को परेशान करते थे। इनका आतंक सभी वर्गों पर था। लोग इनसे छुटकारा पाना चाहते थे। साल 2017 में लोगों बड़ा राजनीतिक बदलाव करते हुए भाजपा को चुना। सूबे में कानून-व्यवस्था का राज कायम करने के लिए सीएम योगी ने खुद को एक सख्त प्रशासक के रूप में पेश किया। उन्होंने अपराधियों-माफियाओं, दंगाइयों सभी पर नकेल कसने के निर्देश दे दिए। छूट मिली तो पुलिस-प्रशासन ने भी अपना काम किया। कुछ ही समय में राज्य की कानून-व्यवस्था बहुत हद तक पटरी पर आ गई। लोगों ने यह महसूस किया।
विकास के कार्य जो स्पष्ट दिखे
पिछले पांच वर्षों में राज्य में हुए विकास कार्यों से लोग प्रभावित हुए। राजमार्गों, एक्सप्रेस-वे, मेडिकल कॉलेज, नए स्कूलों के निर्माण से यूपी की छवि बदली। पूर्ववर्ती सरकारों में विकास कार्यों की गति जो धीमी पड़ी थी उसे योगी सरकार ने तेज किया। हर क्षेत्र में कार्य हुए। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के विकास एवं पुनरोत्थान के लिए योगी सरकार ने काम किया। अयोध्या, मथुरा एवं काशी को नए सिरे से संवारा-सजाया गया। अयोध्या में दीपावली का आयोजन कर योगी सरकार ने हिंदुत्व के खोए हुए गौरव को दोबारा से स्थापित किया। हिंदू आस्था एवं प्रतीकों को सरकार में विशेष आदर एवं सम्मान मिला। इससे हिंदू समुदाय में भाजपा से जुड़ाव पहले से ज्यादा हुआ।
केंद्रीय योजनाओं का लाभ
केंद्रीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने एवं लागू करने में योगी सरकार काफी आगे रही। उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों तक गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों परिवारों के पक्के आवास बने, गांवों में बने 'इज्जत घर' ने गरीब परिवारों में एक नया आत्मविश्वास पैदा किया। कोरोना की पहली लहर के दौरान योगी सरकार ने जिस तरह से चुनौती को लिया और इससे निपटने के लिए जो प्रयास किए एवं कदम उठाए उसने राज्य सरकार की एक अलग छवि पेश की। अन्य राज्यों से नागरिकों एवं छात्रों को निकालकर योगी सरकार ने लोगों के दिल में अपनी जगह बनाई। कोरोना काल में मुफ्त राशन वितरण से भाजपा एवं योगी सरकार दलित एवं गरीब परिवारों में अपनी पैठ बनाने में सफल रही। पीएम किसान योजना के तहत सीमांत किसानों को प्रतिवर्ष छह हजार रुपए का नकद हस्तांतरण ने किसानों को संकट के समय काफी मदद की।
सत्ता विरोधी लहर नहीं थी
आम तौर पर सत्ता में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दल को सत्ता विरोध लहर का सामना करना पड़ता है। इस सत्ता विरोधी लहर में उसे नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन यूपी में योगी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर नहीं थी। लोगों में गुस्सा स्थानीय विधायकों के प्रति था लेकिन पार्टी एवं विचारधारा के आगे लोगों ने नापसंद उम्मीदवारों को भी चुना। कई जगहों पर लोग ये कहते देखे गए कि वे अपने स्थानीय विधायक को पसंद नहीं करते लेकिन विचारधारा एवं सोच के चलते उन्होंने भाजपा को वोट दिया। भाजपा ने इस चुनाव में अपना आंतरिक सर्वे कराया था। इस सर्वे में जिन विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी थी उनमें से ज्यादातर के टिकट उसने काट दिए।
पीएम मोदी में लोगों का भरोसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी है। समय-समय पर उत्तर प्रदेश का उनका दौरा यूपी से उनके खास लगाव को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रमों में बार-बार यह कहते रहे हैं कि राज्य को तेज गति से विकास करने के लिए 'डबल इंजन' की सरकार जरूरी है। बीते पांच सालों में 'डबल इंजन' की सरकार की ताकत को लोगों ने महसूस किया। लोगों को लगा कि प्रदेश का विकास तेजी से करने के लिए 'डबल इंजन' की सरकार का होना जरूरी है।