Ajit Khan Death anniversary: हिंदी सिनेमा 100 साल से अधिक पुराना है। इतने लंबे अंतराल में दर्शकों ने कई ऐसे सितारों को देखा है जो पहली बार पर्दे पर आए और छा गए। उनकी छवि मन-मस्तिष्क पर ऐसी उभरी कि फिर मिटी ही नहीं। इन सितारों में असंख्य अभिनेता, कई खलनायक और यहां तक कि निर्देशक, गायक, गीतकार तक शामिल हैं। आज ऐसे ही एक सिनेमा के सितारे की पुण्यतिथि है, जिसने दर्शकों पर खलनायकी से ऐसी छाप छोड़ी जो आज तक बरकरार है।
हम बात कर रहे हैं महान खलनायक अजीत खान (Ajit Khan) की। 27 जनवरी 1922 को जन्मे अजीत खान 22 अक्टूबर 1998 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। हैदराबाद में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। नास्तिक, मुगल ए आजम, नया दौर और मिलन जैसी 200 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले अजीत खान का हिंदी सिनेमा में योगदान भुलाया नहीं जा सकता है।
जुदां अंदाज और संवाद अदायगी के लिए मशहूर विलेन अजीत खान का असली नाम हामिद अली खान (Hamid Ali Khan) था। वह घर (हैदराबाद) से भागकर एक्टर बनने का सपना लेकर मुंबई आए। शुरुआत में उन्होंने अपनी किताबें बेचकर गुजारा किया। 1940 में उन्होंने हीरो के तौर पर डेब्यू किया लेकिन उनकी फिल्में सफल न हो सकीं। कई फिल्मों में असफलता हाथ लगने से वह निराश हो गए और विलेन के रोल करने लगे।
विलेन के किरदारों में उनकी छवि को खूब पसंद किया गया। 'मोना डार्लिंग', 'लिली डोंट भी सिली' और 'लॉयन' जैसे डॉयलॉग बोलकर उन्होंने ऐसा स्टारडम कमाया जो उस दौर में कई लीड एक्टर्स को नहीं मिलता था। उनकी लोकप्रियता चरम पर रही। अजीत जब मुंबई आए तो रहने के लिए जगह नहीं थी, ऐसे में वह सीमेंट की बनी पाइपों में रहे। इन पाइपों में रहने के लिए भी लोकल गुंडे हफ्ता वसूली करते थे।
एक बार जब लोकल गुंडे हफ्ता वसूली के लिए अजीत के पास आए तो उनसे झगड़ा हो गया। झगड़े में अजीत ने गुंडों की पिटाई कर दी। इसके बाद अजीत से सब डरने लगे। रहने के अलावा उनके फ्री में खाने पीने का भी इंतजाम हो गया।
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