Pandit Jasraj Death: 'मैंने एक बड़ा भाई खो दिया'- आशा भोसले को पंडित जसराज के निधन से लगा गहरा धक्का

Asha Bhosle on Pandit Jasraj Death: आशा भोसले ने बताया- पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। मैंने किसी ऐसे व्यक्ति को खो दिया है जो मेरे लिए बहुत प्रिय था...

Asha Bhosle lost a big brother After On Pandit Jasraj Death,
आशा भोसले और पंडित जसराज।  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • 90 साल की उम्र में पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यूजर्सी में अंतिम सांस ली।
  • दिल का दौरा पड़ने महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन हो गया।
  • बॉलीवुड और कई दिग्गज सेलिब्रिटी लगातार पंडित जसराज को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन हो गया है। दिल का दौरा पड़ने से 90 साल की उम्र में पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यूजर्सी में अंतिम सांस ली। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से पंडित जसराज न्यूजर्सी में ही थे। संगीत जगत से लेकर बॉलीवुड और कई दिग्गज सेलिब्रिटी लगातार पंडित जसराज को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अब हाल ही में आशा भोसले ने पंडित जसराज को श्रद्धांजलि दी है और उनके साथ बिताए पलों को याद किया है। 

आशा भोसले ने बताया, 'पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। मैंने किसी ऐसे व्यक्ति को खो दिया है जो मेरे लिए बहुत प्रिय था। मैंने एक बड़े भाई को खो दिया है। संगीत का सूरज डूब गया। वह एक गायक के रूप में उत्कृष्ट थे और मैं उन्हें बहुत लंबे समय से जानती थी। जब उनकी शादी वी शांताराम की बेटी से नहीं हुई थी तब से... वह मेरी बहुत प्रशंसा करते थे और वे हमेशा कहा करते थे कि मैं तुझे गाना सिखाऊंगा।'

कट्टर शाकाहारी थे जसराज जी: आशा भोसले
आशा भोसले ने बताया, 'बहुत टाइम पहले मैंने अमेरिका में उनके शास्त्रीय स्कूल का दौरा किया था। जहां वह बहुत सारे नए लोगों को संगीत सिखाते थे। मुझे याद है कि मैं कैसे उनके स्कूल में दाखिला लेना चाहती थी। उसी यात्रा पर, हम रात के खाने के लिए बाहर गए। जसराज जी, जो एक कट्टर शाकाहारी थे मुझसे स्वास्थ्य कारणों से शाकाहारी बनने के लिए अनुरोध करते रहे। मैं हमेशा उन्हें बचपन की तरह याद करूंगी।'

पंडित जसराज को मिले थे ये अवॉर्ड्स
शास्‍त्रीय संगीत के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए उन्‍हें पद्म विभूषण (2000) , पद्म भूषण (1990) और पद्मश्री (1975) जैसे सम्मान से नावाजा गया था। पंडित जसराज ने आखिरी प्रस्तुति 9 अप्रैल को हनुमान जयंती पर फेसबुक लाइव के जरिए वाराणसी के संकटमोचन हनुमान मंदिर के लिए दी थी। शास्त्रीय गायन के इतर पंडित जसराज ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी गाने गाए थे। 

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