बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद फिल्म इंडस्ट्री में इनसाइडर- आउटसाइडर व नेपोटिज्म को लेकर बहस तेज हो गई है। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में हो रही इस बहस के बीच जानी मानी अदाकारा आशा पारेख ने इस बारे में अपनी राय रखी।
उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में इस बारे में बात की और कहा कि उन्हें लगता है कि नेपोटिज्म पर छिड़ी बहस सही नहीं है क्योंकि कई ऐसे स्टार किड्स हैं जो कामयाब नहीं हो सके हैं और अपनी नाकामयाबी के चलते डिप्रेशन में चले जाते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि जब वो बॉलीवुड में एक्टिव थीं तब यहां कोई ग्रुपिज्म नहीं था।
ईटाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरे समय में यहां ग्रुपिज्म नहीं था। एक्टर्स के बच्चे अक्सर देखते हैं कि हर तरफ से उनके पेरेंट्स की चापलूसी की जाती है। वो देखते हैं कि लोग उनके पीछे भागते हैं तो उन्हें लगता है कि हमें भी एक्टर बनना है। लेकिन क्या सभी एक्टर बनते हैं? आप अपनी उंगलियों पर गिन सकते हैं जो एक्टर बने हैं। क्या किसी ने कभी उन स्टार किड्स के बारे में सोचा जो ऐसा कर पाने में असफल हुए? उनका क्या होता है? वो डिप्रेशन में चले जाते हैं।'
मालूम हो कि आज यानी 2 अक्टूबर को आशा पारेख का जन्मदिन है और वो 78 साल की हो गई हैं। आशा अपने जमाने की सफल व सबसे ज्यादा फीस पाने वाली अभिनेत्रियों की लिस्ट में शामिल रही हैं। उन्होंने 10 साल की उम्र में फिल्मों में कदम रखा था और बाद में 16 साल की उम्र में एक्ट्रेस के तौर पर शम्मी कपूर के अपोजिट फिल्म दिल देके देखो से कदम रखा था।
Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।