कभी रामायण गाते और मंजीरा बजाते थे गोविंद नामदेव, शोला और शबनम से डेब्यू कर बने बॉलीवुड के सुपर विलेन

इंडस्ट्री के सबसे मंझे हुए अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाले ऐसे ही अभिनेता हैं गोविंद नामदेव। आज गोविंंद नामदेव का जन्मदिन है।

Govind Namdev
Govind Namdev 
मुख्य बातें
  • डेविड धवन की शोला और शबनम से गोविंद नामदेव ने किया था फिल्मी डेब्यू
  • गोविंद नामदेव आज अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं
  • मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले गोविंद रामायण में मजीरा बजाते थे

Govind Namdev Birthday: यूं तो फिल्म जगत में बहुत से सुपरस्टार्स हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे। मगर तीन दशक का लंबा सफर तय करने के बाद दिग्गज की उपाधि प्राप्त करने वाले कलाकार कुछ ही होते हैं। इंडस्ट्री के सबसे मंझे हुए अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाले ऐसे ही अभिनेता हैं गोविंद नामदेव। 

30 साल के अभिनय करियर में उन्होंने कई फिल्में की, कई बेहतरीन किरदार निभाए। मगर एक खलनायक के रूप में उनके जलवे को आज भी कोई टक्कर नहीं दे सकता है। डेविड धवन की शोला और शबनम से अपना फिल्मी डेब्यू करने वाले गोविंद नामदेव आज अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं, ये उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

स्कूल में टॉपर थे अब हैं फिल्मों में टॉपर

मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले गोविंद, 7वीं कक्षा में पिता श्रीराम प्रसाद के साथ रामायण गाते और मंजीरा बजाते थे। जिसके बाद उन्होंने आठवीं में दिल्ली आना तय किया और स्कूल में टॉप करके बाकी की पढ़ाई स्कॉलरशिप से खत्म की। दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पास आउट गोविंद नामदेव ने 11 साल वहीं रहकर अभिनय के गुर सीखे। उन्होंने सालों तक ड्रामा प्ले करके अपनी एक्टिंग को तराशा। तथा पोलैंड, लंदन, जर्मनी के साथ कई और देशों में नाटक प्रदर्शन करके अपना नाम कमाया। जिसके बाद उन्होंने मुंबई की ओर रुख किया और फिर दोबारा कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इस तरह आया अभिनय का ख्याल

गोविंद बताते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे एक अभिनेता बनेगे। हालांकि हमेशा से उन्हें कुछ अलग, कुछ खास करने की चाह थी। जिससे उनको और उनके परिवार को एक नाम और पहचान मिले। वे कहते हैं, “दिल्ली में पढ़ाई करते समय मैं कई बड़ी बड़ी हस्तियों की ऑटोबायोग्राफीज पढ़ता था। स्कूल में मैं हर तरह की शैली में अच्छा प्रदर्शन करता था भले वो पढ़ाई हो, कविता लिखना हो, गाना गाना हो या फिर नाटक तथा भाषण हो। बस इसी वजह से मुझे स्कूल की कल्चरल कमीटी का हेड बना दिया गया। मुझे बहुत सराहना के साथ बहुत सी सलाहें भी मिली, जिसमें से एक थी एक्टिंग की राह पर अपनी किस्मत आजमाने की। और इसी सलाह को मानकर मैंने एनएसडी में दाखिला ले लिया।”

इस तरह मिली थी पहली फिल्म

गोविंद बताते हैं कि इतने लंबे समय के लिए अलग अलग जगहों पर नाटक करने के बाद। कई लोग पहले से ही उनके अभिनय और खूबियों से परिचित थे। उनका चेहरा और आवाज ही काफी थी किसी को भी इस बात का यकीन दिलवाने के लिए कि वे एक बहुत मंझे हुए कलाकार हैं। साल 1990 में गोविंद को परेश रावल, केतन मेहता की फिल्म ‘सरदार पटेल’ मिली थी। उसी दौरान जब उनकी मुलाकात पहलाज निहलानी और डेविड धवन से हुई, तो वे उस शोला और शबनम बना रहे थे। कहानी सुनने के बाद सभी को लगा की गोविंद फिल्म के लिए सटीक पसंद हैं। और इसी तरह 1992 में रिलीज हुई शोला और शबनम उनकी डेब्यू फिल्म बन गई और फिर साल 1994 में सरदार पटेल रिलीज हुई थी।

इन बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रहे

100 से ज्यादा शानदार फिल्मों का अहम हिस्सा रहे चुके गोविंद। इतने सालों बाद भी अपने अभिनय से सबके दिलों में जगह बनाए हुए हैं। ओह माय गॉड, सिंघम, भूल भुलैया 2, वांटेड, रमैया वस्तावैया, बॉस, शादी में जरूर आना, प्रेम ग्रंथ, विरासत, सत्या, सरफरोश, प्यासा आदि जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में गोविंद द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा चर्चा में रहते हैं। एवं सदा ही खूब सराहे भी जाते हैं।

बदलते जमाने के साथ बॉलीवुड भी बहुत से मायनो में बदला है। आज कल लोग फिल्मों से ज्यादा लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर रहे हैं। जिस पर गोविंद कहते हैं कि, “मैं अपने सफर से संतुष्ट हूं। इतने सालों में मुझे कई उम्दा अदाकारों तथा निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। और मैं आगे भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद करता हूं।” 

गोविंद इस साल ओह माय गॉड 2, वो लड़की है कहाँ?  जैसी फिल्मों के साथ साथ एलियन फ्रैंक नाम की वेब सीरीज में भी नजर आएंगे जिसमें वे एडोल्फ हिटलर का किरदार निभा रहे हैं।

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