बेटे की मौत से चंद घंटे पहले गजल गाते-गाते रोने लगे थे Jagjit Singh, रात को आई मनहूस खबर

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Updated Oct 10, 2019 | 11:23 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Jagjit Singh Death Anniversary: गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज पुण्यतिथि है। जानिए वो किस्सा जब जगजीत सिंह को अपने बेटे की मौत के कुछ घंटे पहले उन्हें इस अनहोनी का पूर्वाभास हो गया था।

Jagjit Singh
Jagjit Singh 
मुख्य बातें
  • जगजीत सिंह की 10 अक्टूबर को 8वीं पुण्यतिथि है।
  • साल 1990 में जगजीत सिंह के बेटे विवेक सिंह की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।
  • जगजीत सिंह की लाइफ पर आधारित डॉक्यूमेंट्री में उनके दोस्तों ने बेटे की मौत का किस्सा शेयर किया

मुंबई. गजल सम्राट जगजीत सिंह की 10 अक्टूबर को 8वीं पुण्यतिथि है।  जगजीत की पर्सनल लाइफ काफी दुखों से भरी थी। साल 1990 में जगजीत सिंह के बेटे विवेक सिंह की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। हालांकि, जगजीत सिंह को कुछ वक्त पहले ही बेटे की मौत का आभास हो गया था।

जगजीत सिंह की लाइफ पर आधारित डॉक्यूमेंट्री कागज की कश्ती में जगजीत सिंह के दोस्तों ने बताया, "बांद्रा में शारजहां के शेख अब्दुल अनाम मुखातिर ने एक गेट टुगेदर रखा था। यहां अंजु महेंद्रू, कंवलजीत जैसे उनके दोस्त शामिल हुए थे।" 

जगजीत के दोस्त के मुताबिक, " पार्टी में अंजू जी ने जगजीत सिंह से डिमांड की कि वह 'दर्द से मेरा दामन भर आया' गाना गाकर सुनाए। जगजीत सिंह ने मना कर दिया। हालांकि, जिद करने के बाद उन्होंने गजल गाई। गजल गाते-गाते वह बहुत रोने लगे थे। उन्हें रोते देख हम घबरा गए थे।" 

उस रात आई बेटे की मौत की खबर 
जगजीत के दोस्तों के मुताबिक, "जगजीत सिंह के रोने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि दिल घबरा रहा है और मेरा मन नहीं लग रहा है। रात ढाई-तीन बजे उन्हें बेटे की मौत की खबर मिल गई।"

जगजीत के करीबी बताते हैं, " जब अंतिम संस्कार और सभी चीजें खत्म हो गई तब केवल दो दिन-तीन लोग बचे थे। उन्होंने चश्मा निकालकर फेंका और मुझसे कहा कि मेरी दुआ कुबूल हो गई। उनका मतलब पिछली शाम की फरमाइश से था।"      

ब्रेन हेमरेज के कारण हुआ निधन 
जगजीत सिंह का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हुआ था। उन्हें 23 सितंबर 2011 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया, लेकिन वे अपनी बीमारी के चंगुल से निकल नहीं पाए और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया।

पद्म भूषण से सम्मानित सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में आठ फरवरी 1941 को हुआ था। ग्रेजुएशन के बाद जगजीत सिंह करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए थे। जगजीत सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन, होठों से छू लो तुम, कागज की कश्ती जैसे अपनी गजलों के जरिए हमेशा अमर रहेंगे।   

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