मोहम्मद रफी का पैतृक घर बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं बेटे शाहिद रफी, बैंक कर सकता है कब्जा

बॉलीवुड
Updated Oct 12, 2019 | 21:39 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी अपने पिता का घर बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इस घर पर HDFC बैंक कब्जा मांग रहा है। ये घर साल 1970 में बना था। जानिए क्या है मोहम्मद रफी के बंगले का विवाद...

Shahid Rafi
Shahid Rafi 
मुख्य बातें
  • मोहम्मद रफी के बेट शाहिद रफी अपने पैतृक घर को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
  • शाहिद रफी के इस फ्लैट पर HDFC बैंक ने कब्जा मांगा है।
  • बैंक का दावा है कि शाहिद रफी ने निंबस इंडस्ट्री को फ्लैट बेचने की डील की थी। 

मुंबई. महान सिंगर मोहम्मद रफी के पैतृक घर रफी मैंशन्स पर खतरा मंडरा रहा है। उनके बेटे शाहिद रफी इसे बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस फ्लैट पर HDFC बैंक ने कब्जा मांगा है। ये घर साल 1970 में बना था। 

मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद रफी का फ्लैट इमारत के पांचवे फ्लोर पर स्थित है। साल 1980 में बंगले को गिराकर ये इमारत बनवाई गई थी। बैंक दावा कर रहा है कि शाहिद रफी ने निंबस इंडस्ट्री को फ्लैट बेचने की डील की थी। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके लिए कंपनी ने HDFC बैंक से 4.16 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। कंपनी बैंक को ये कर्ज चुकाने में नाकाम रही थी। इस कारण से बैंक अब मोहम्मद रफी की संपत्ति पर अपना दावा ठोक रहा है। शाहिद ने कहा कि उनकी घर से काफी यादें जुड़ी है। 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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शाहिद ने कहा- नहीं बेची थी प्रॉपर्टी
मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी ने कहा है कि  इस फ्लैट की कीमत लगभग पांच करोड़ रुपए है। वह ये प्रॉपर्टी को बेचना नहीं चाहते हैं। उन्होंने नवंबर 2017 में एक कर्ज लिया था जिसे चुकाने के लिए उन्होंने निंबस कंपनी के साथ समझौता किया था।  

शाहिद रफी ने कहा कि, कंपनी को जितने पैसों का समझौता था उतने पैसे उन्होंने नहीं दिए। इसके अलावा अथॉरिटीज के पास इस एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। इस कारण समझौते को मानने की कोई वजह नहीं है। 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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कोर्ट ने नहीं दी थी राहत 
शाहिद रफी ने इस पूरे मामले में अदालत का भी दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने इस डील को कैंसिल कर दिया था। डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल ने इस पर स्टे लगा दिया था। शाहिद ने टेड रिकवरी ट्राइब्यूनल में बताया कि निंबस से समझौते में उन्हें सिर्फ 1.95 करोड़ रुपए मिले थे। समझौते में 3.16 करोड़ रुपए का जिक्र है। 

 

 

शाहिद ने बताया कि निंबस के डायरेक्टर ने उनसे कोई भी चेक डिपॉजिट नहीं करने के लिए कहा था। बैंक के मुताबिक शाहिद और निंबस के बीच समझौता पूरा हुआ और बैंक के पास प्रॉपर्टी जब्त करने का अधिकार है।

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