चक दे! इंडिया में Shah Rukh से लेकर दिल धकड़ने दो में Farhan तक, जब एक्टर्स से निभाए ऐसे मजबूत फेमिनिस्ट रोल

बॉलीवुड
Updated Mar 01, 2020 | 08:24 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

तापसी, आलिया जैसी एक्ट्रेसेज को हम मजबूत फेमिनिस्ट किरदारों में देख चुके हैं। लेकिन कई ऐसे मेल स्टार्स भी हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में लिंग असमानता की खाई को पाटते हुए स्ट्रॉन्ग फेमिनिस्ट रोल निभाएं।

Strong male feminist Characters of bollywood
Strong male feminist Characters of bollywood  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • शाहरुख से फरहान तक, जब एक्टर्स ने निभाए मजबूत फेमिनिस्ट किरदार
  • इन फिल्मों में दिखा इनका अलग अवतार
  • चक दे! इंडिया से दिल धड़कने दो में दिखे फेमिनिस्ट कैरेक्टर्स

हाल ही बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू की फिल्म थप्पड़ रिलीज हुई है। जिसमें घरेलू हिंसा के मुद्दे को गंभीरता से पर्दे पर दिखाया गया है। इस फिल्म को जबरदस्त सराहना मिल रही है। तापसी की ही बात करें तो वे अक्सर फिल्मों में मजबूत फेमिनिस्ट किरदार निभाते हुए नजर आती हैं। पहले पिंक और अब थप्पड़ से वे सबका दिल जीत रही हैं। वैसे तो विद्या बालन, कंगना रनौत, आलिया भट्ट जैसी कई एक्ट्रेसेज फिल्मों में ऐसे मजबूत किरदार निभा चुकी हैं। वहीं ज्यादातर फिल्मों में मेल एक्टर्स को उनके माचो अवतार में दिखाया जाता है। जैसा कि कबीर सिंह में दिखाया गया था और इसका काफी विरोध भी हुआ था। लेकिन इनसे हटकर कुछ ऐसे एक्टर्स भी हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में स्ट्रॉन्ग फेमिनिस्ट किरदार निभाएं और उन्हें बहुत सराहना भी मिली। यहां देखें, ऐसे ही फेमिनिस्ट मेल किरदार...

दिल धड़कने दो के सनी गिल
जोया अख्तर की फिल्म दिल धड़कने दो कई मायने में एक खास फिल्म है। लेकिन इस फिल्म में सभी किरदारों में फरहान अख्तर के कैरेक्टर सनी गिल ने हमारा ध्यान खींचा। इसमें वे प्रियंका चोपड़ा के एक्स बॉयफ्रेंड का किरदार निभाते हैं। इसमें एक सीन ने जोया की इस फिल्म को और भी मजबूत रूप से दिखाया, जिस बात को हम बहुत सामान्य तरीके से लेते हैं। इसमें जब मानव (राहुल बोस) कहता है कि उसने अपनी पत्नी आयशा (प्रियंका) को अपना बिजनेस चलाने की इजाजत दी तो सनी (फरहान) ने इस बात को रखा कि उसे इजाजत देने का हक किसने दिया। जब आप किसी को कुछ करने की 'इजाजत' देते हैं तो आप खुद को उनसे ऊपर की पॉजिशन में रखते हैं। आमतौर पर भी देखा जाता है कि लड़के बहुत गर्व के साथ बोलते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी को जॉब करने दी। इसी बात को लेकर सनी गिल ने सवाल उठाया।

चक दे इंडिया के कबीर सिंह
महिला हॉकी पर आधारित फिल्म चक दे इंडिया को जबरदस्त सराहना मिली। इसमें हॉकी टीम के कोच का किरदार शाहरुख खान ने निभाया। 13 साल बाद भी इस किरदार को याद किया जाता है। इसमें उन्होंने एक ऐसी महिला टीम को वर्ल्ड कप तक पहुंचाने के जंग लड़ी, जिसमें किसी को यकीन नहीं था। और वो भी तब जब टीम की खिलाड़ी खुद इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं थीं कि वे ये कर सकती हैं। यहां उन्होंने बिना किसी जेंडर स्टीरियोटाइप के अपनी टीम को प्लेयर्स के रूप में देखा। इतना ही नहीं, उन्होंने पूरी टीम को एक बड़े उदाहरण के साथ एक होना सिखाया, जहां टीम लंच आउटिंग के दौरान सभी लड़कियां एकजुट होकर न सिर्फ छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाती हैं, बल्कि मनचलों की धुनाई भी कर देती हैं।

पैडमैन के लक्ष्मीकांत चौहान
पैडमैन में अक्षय कुमार का किरदान रीयल-लाइफ फेमिनिस्ट से इंस्पायर था, जिन्होंने पीरियड्स को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया। उन्होंने महिलाओं की सेहत का ध्यान रखते हुए न सिर्फ वाजिब दामों पर सेनेटरी नैपकिन्स बनाए, बल्कि गांवों में महिलाओं के लिए रोजगार भी उपलब्ध करवाया। इसके लिए उन्हें अपने परिवार और समाज का भी विरोध सहना पड़ा। लेकिन लक्ष्मीकांत चौहान ने अपनी मंजिल तक पहुंचकर ही दम लिया। फिल्म में वे महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

पीकू के भास्कोर बनर्जी
पीकू एक अपने ही तरह की अलग फिल्म थी, जिस पर न कोई पहले फिल्म बनी और न ही अब तक बन पाई। इसमें दीपिका पादुकोण और अमिताभ बच्चन ने पिता-बेटी का किरदार निभाया, जो अपने आप में बिल्कुल अलग था। फिल्म का एक हिस्सा जहां भास्कोर बनर्जी के मोशन से जुड़ा था, वहीं उनके अपनी बेटी पीकू के साथ एक खूबसूरत रिश्ते को भी दर्शाया गया। जैसे हमारे समाज में बेटी ने 22 साल के होते ही शादी का दबाव बनाया जाने लगता है, वहीं भास्कोर के साथ ऐसा नहीं है। वे अपनी बेटी की शादी करवाना चाहते हैं, लेकिन वे पीकू को आत्मनिर्भर होने और अपने सिद्धांतों पर खड़े होने की सीख भी देते हैं। वे पीकू को किसी भी रिलेशनशिप में बराबरी पर देखना चाहते हैं, न कि लड़के पीछे चलते हुए।

फेमिनिस्ट का मतलब बराबरी से है। इसका अर्थ किसी भी जेंडर को कम या ज्यादा आंकने से नहीं लगाया जाना चाहिए। महिला हो या पुरुष, हर किसी को अपने मूल अधिकारों को इस्तेमाल करने का हक होना चाहिए। ऐसे में सशक्त फीमेल किरदारों के साथ ऐसे मजबूत मेल कैरेक्टर देखकर लगता है कि सिनेमा प्रगति कर रहा है।

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