बॉलीवुड में आज के दौर की हिरोइनो को बिकनी पहनने से कोई परहेज नहीं है। एक्ट्रेसेज का बिकनी पहनकर कोई सीन शूट करना अब आम बात है। लेकिन 50 साल पहले ऐसा नहीं था। फिल्ममेकर्स न तो बिकनी में शूट करने की हिम्मत करते थे और न ही कोई अभिनेत्री हामी भरती थी। हालांकि, शर्मिला टैगोर के एक फैसले ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इस चलन को तोड़ दिया। वह पहली बॉलीवुड एक्ट्रेस थीं, जो बड़े पर्दे पर बिकनी में नजर आईं। वह अपने जमाने की काफी बोल्ड एक्ट्रेस रही हैं। 60 और 70 के दशक में शर्मिला का शुमार इंडस्ट्री की सबसे बेहतरीन और ग्लैमरस एक्ट्रेस में होता था।
'कश्मीर की कली', 'अराधना', और 'अमर प्रेम' जैसी फिल्मों में काम करने वाली शर्मिला टैगोर ने पहली बार बिकनी साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म 'एन इवनिंग इन पेरिस' फिल्म में पहनी थी। उन्होंने 1964 में 'कश्मीर की कली' फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू किया था। वह पहली फिल्म से अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो गई थीं। लेकिन 'एन इवनिंग इन पेरिस' में बिकनी पहनने के बाद उनकी पॉपुलैरिटी में बेतहाशा इजाफा हुआ था, जिससे बॉलीवुड में तहलका मच गया था। साथ ही खूब विवाद भी हुए। शर्मिला ने फिल्म में आसमानी नीले रंग का वन-पीस स्विमसूट पहना था।
शर्मिला टैगोर के बड़े पर्दे पर बिकनी में नजर आने से पहले उनके एक फोटो को लेकर भी जमकर हंगमा हुआ था। उन्होंने साल 1966 में फिल्मफेयर मैगजीन के अगस्त के अंक के लिए टू-पीस बिकिनी पहनी थी, जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। उस वक्त भारत में लोगों ने किसी चर्चित एक्ट्रेस को पहले बार बिकिनी में पोज देते देखा था, जिसकी वजह से बवाल मच गया। शर्मिला अपने दौर की ऐसी पहली ऐसी एक्ट्रेस रही हैं, जिन्होंने किसी मैगजीन के लिए बिकिनी में पोज दिए। 1966 में भले ही शर्मिला को कॉन्ट्रोवर्सी का सामना करना पड़ा हो, मगर यह साल उनके लिए अच्छा साबित हुआ। इस साल उनकी पांच फिल्में- अनुपमा, देवर, ये रात फिर न आएगी, सावन की घटा और नायक रिलीज हुईं, जिनमें उनकी परफॉर्मेंस को सराहा गया।
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