Shikara: दिल दहला देगी इस कश्मीरी टीचर के गैंगरेप की कहानी, आतंकियों ने आरा मशीन से किए थे दो टुकड़े

Kashmiri Pandits Exodus: 1990 में कश्मीर घाटियों से कश्मीरी पंडितों का पलायन भारत के इतिहास का एक काला पन्ना है। घाटी में एक कश्मीरी टीचर से हुई गैंगरेप की घटना 30 साल बाद भी दिल दहला देती है।

Kashmiri Pandits
Kashmiri Pandits Representative Image 
मुख्य बातें
  • कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म शिकारा सात फरवरी को रिलीज हो रही है।
  • फिल्म के ट्रेलर  ने कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम के जख्मों  को फिर हरा कर दिया है।
  • कश्मीरी टीचर के साथ हुई गैंगरेप की वारदात आज भी रौंगटे खड़े कर देती है। 

मुंबई. विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा सात फरवरी को रिलीज होने वाली है।  फिल्म के ट्रेलर  ने 90 के दशक में हुए कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम और पलायन के जख्मों  को फिर हरा कर दिया है। जनवरी 1990 में कई कश्मीरी पंडित महिलाओं को बलात्कार किया गया। इसमें कश्मीरी टीचर के साथ हुई गैंगरेप की वारदात आज भी रौंगटे खड़े कर देती है। 

गैंगरेप पीड़िता बारामूला जिले के गांव अरिगाम की रहने वाली थीं। वह सरकारी स्कूल में बतौर लैब असिस्टेंट काम किया करती थीं। जून 1990 में पीड़िता अपनी सैलेरी लेने के लिए स्कूल गई थीं। सैलेरी मिलने के बाद वह अपनी सहकर्मी से मिलने उसके घर चली गई थीं।    

आतंकियों ने उसका घर से ही अपहरण कर लिया। अपहरण के बाद कश्मीरी टीचर के साथ गैंगरेप किया गया। इसके अलावा उसे कई तरह की दर्दनाक यातनाएं भी दी गई थी। इसके बाद आतंकियों ने बिजली से चलने वाली आरी से बीच के काट दिया था। 

 

 

घर में था चार साल का बेटा, दो साल की बेटी
पीड़िता के घर में 26 साल का पति, दो साल की बेटी और चार साल का बेटा था। 2019 में अमेरिकी संसद में जम्मू कश्मीर पर बोलते हुए भारत की प्रतिनिधि सुनंधा वशिष्ठ से इस रेप केस का जिक्र किया था। 

सुनंदा वशिष्ठ ने अपने भाषण में कहा था- 'मैं उस लड़की की आवाज हूं, जिससे आतंकियों ने रेप किया और उसे जिंदा आरा मशीन से दो हिस्सों में काट दिया था। उसका गुनाह सिर्फ वह धर्म था, जिसे वह मानती थीं।' 

 

 

जेकेएलएफ ने ली थी जिम्मेदारी
90 के दशक में कई कश्मीरी पंडित महिलाओं के साथ बर्बरता की गई थी।  हिज्बुल मुजाहिदीन ने अपने अखबार आफताब में छपवाया  'सभी हिंदू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएं।'

 

 

अखबारों में नारे छपे- असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान (हमें  चाहिए पाकिस्तान, पंडितों के बगैर, पर उनकी औरतों के साथ) कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में सबसे आगे जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट और हिजबुल मुजाहिदीन था। 

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