Jai Hind Movie: इस क्रांतिकारी ने पहली बार दिया था जय हिंद का नारा, स्वतंत्रता दिवस पर हुई बायोपिक की घोषणा

Chembakaraman Pillai Biopic: आजादी की लड़ाई में जय हिंद का नारा आजादी के मतवालों में एक नया जोश भर देता था। इस नारे को डॉ चेम्पकरमन पिल्लई ने दिया था। अब डॉ.चेम्पकरमन पिल्लई की बायोपिक बनने जा रही है।

Jai Hind Movie
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मुख्य बातें
  • जय हिंद स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम नारा था।
  • इस नारे को डॉ चेम्पकरमन पिल्लई ने दिया था।
  • डॉ चेम्पकरमन पिल्लई की बायोपिक जय हिंद जल्द रिलीज होगी।

Freedom Fighter Chempakaraman Pillai: 'जय हिंद' इस नारे के बिना आजादी की लड़ाई का इतिहास अधूरा है। इस नारे को लगाकर कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई। कई क्रांतिकारी ने इस नारे को लगाते हुए फांसी के फंदे झूल गए। लेकिन, कभी आपने सोचा है कि ये नारा किसने दिया है। ये नारा पहली बार चेम्पाकरमन पिल्लई ने दिया था। अब चेम्पाकरमन पिल्लई पर जल्द ही बायोपिक बनने जा रही है। अंजुम रिजवी, राघवेंद्र एन और रिजू बजाज ने 15 अगस्त से एक दिन पहले ये बड़ी घोषणा की है! 

जय हिंद, डॉ चेम्पकरमन पिल्लई के जीवन पर एक बायोपिक होगी। उन्होंने एक राजनीतिक कार्यकर्ता और क्रांतिकारी थे जिन्होंने "जय हिंद" का नारा गढ़ा था। फिल्म जय हिंद, चंपाकरमन पिल्लई और अन्य भूले हुए दिग्गजों के आसपास केंद्रित होगी। ये फिल्म भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक राजेश टचरिवर द्वारा लिखा और निर्देशित किया जाएगा। फिल्म की मुख्य भाषा अंग्रेजी होगी, वहीं इसे हिंदी और तमिल समेत अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं में भी रिलीज किया जाएगा। 

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1907 में की थी जय हिंद की कल्पना
रिजवी, राघवेंद्र एन और रिजू बजाज अपने बैनर अंजुम रिजवी फिल्म कंपनी, अनुराग एंटरटेनमेंट और लिफ्ट इंडिया स्टूडियो के तहत जय हिंद का निर्माण कर रहे हैं। डॉ. चेम्पाकरमन पिल्लई ने 1907 में "जय हिंद" शब्द की कल्पना की, जिसे 1940 के दशक में आबिद हसन सफरानी के सुझाव पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना के नारे के रूप में अपनाया गया था।  भारत की स्वतंत्रता के बाद, जय हिंद भारत के राष्ट्रीय नारे के रूप में उभरा, जिसका आज देश की सेनाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।

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स्वतंत्रता संग्राम में दिया योगदान
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पिल्लई ने स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में अंतर्राष्ट्रीय भारत समर्थक समिति की स्थापना की। बाद में उन्होंने इसे बर्लिन समिति में मिला दिया। जो यूरोप में सभी भारतीय समर्थक क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए मार्गदर्शक और नियंत्रण संस्था बन गई, जिसने भारत की स्वतंत्रता में योगदान दिया।

पिल्लई एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने उस समय भारतीयों पर अपनी अपमानजनक टिप्पणियों के लिए एडॉल्फ हिटलर से लिखित माफी मांगने की हिम्मत की थी। हालांकि, चेम्पाकरमन पिल्लई नाम भी आज अधिकांश भारतीयों को अज्ञात लगता है। 

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