Dilip Kumar Facts: रेलवे स्टेशन पर डॉक्टर से मुलाकात ने बदल दी थी किस्मत, जानिए यूसुफ खान से दिलीप कुमार बनने की कहानी

Dilip Kumar first death anniversary: बॉलीवुड के सबसे महान कलाकार दिलीप कुमार की सात जुलाई को पहली डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर जानिए युसूफ खान से दिलीप कुमार बनने की पूरी कहानी...

Dilip Kumar
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मुख्य बातें
  • दिलीप कुमार की सात जुलाई को पहली पुण्यतिथि है।
  • सात जुलाई 2021 को दिलीप कुमार दुनिया को छोड़कर चले गए थे।
  • दिलीप कुमार ने साल 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से करियर की शुरुआत की थी।

Dilip Kumar Death Anniversary: भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे महान कलाकारों में से एक युसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की आज (सात जुलाई) पहली पुण्यतिथि है। सात जुलाई 2021 को 98 साल की उम्र में दिलीप कुमार इस दुनिया को छोड़कर चले गए। दिलीप कुमार के जाने से फिल्म इंडस्ट्री का एक अध्याय भी खत्म हो गया था। 50 और 60 के दशक में कई एवरग्रीन फिल्मों में सदाबहार रोल ने दिलीप साहब को एक्टिंग का स्कूल बना दिया। 50 और 60 का दौर राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार की तिकड़ी का दौर था। 

अविभाजित भारत के पेशावर (अब पाकिस्तान) में जन्में दिलीप कुमार (Dilip Kumar Facts) ने साल 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से अपने करियर की शुरुआत की थी। दिलीप कुमार फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले कई अलग-अलग काम किए। उनके पिता मुंबई में फलों के बड़े व्यापारी थे। ऐसे में दिलीप साहब ने अपना फैमिली बिजनेस संभाला। पिता से कहा-सुनी के बाद वह मुंबई से पुणे में चले गए। यहां उन्होंने ब्रिटिश आर्मी की कैंटीन में सैंडविच काउंटर खोला। इस बीच अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया। इसके बाद दिलीप साहब मुंबई लौटे और तकिए बेचने का काम शुरू किया। ये काम भी नहीं चला।

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नैनीताल में खरीदा सेब का बगीचा
बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिलीप कुमार के पिता मोहम्मद सरवर खान ने नैनीताल में दिलीप कुमार को सेब का बगीचा खरीदने का काम दिया। उन्होंने एक रुपए के अग्रिम भुगतान पर समझौता किया, इससे उन्हें अपने पिता से काफी तारीफ मिली। दिलीप कुमार को ब्रिटिश आर्मी कैंट में लकड़ी से बनी चारपाई की सप्लाई के लिए दादर जाना था। वह मुंबई के चर्चगेट स्टेशन में लोकल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, तभी जान-पहचान के डॉक्टर मसानी मिले। डॉक्टर मसानी बॉम्बे टॉकीज की मालकिन और भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस देविका रानी से मिलने जा रहे थे। डॉक्टर ने जब युसूफ खान से चलने को कहा तो वह मूवी स्टूडियो की चका चौंध के कारण तैयार हो गए।' 

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मिली 1250 रुपए की नौकरी
दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा सब्सटेंस एंड द शेडो में लिखा है कि जब उन्हें देविका रानी ने देखा तो उनसे पूछा कि उन्हें उर्दू बोलनी आती है। जब दिलीप साहब ने हां में जवाब दिया तो देविका रानी ने पूछा एक्टर बनोगे? इसके बाद उन्हें बॉम्बे टॉकीज 1250 रुपए मासिक नौकरी पर रख लिया। 

देविका रानी ने दिलीप कुमार से कहा था कि वह चाहती हैं कि उनका एक स्क्रीन नाम हो। ऐसा नाम जिससे दुनिया तुम्हें जानेगी और ऑडियंस तुम्हारी रोमांटिक छवि को उससे जोड़कर देखेगी। इसके बाद देविका रानी ने यूसुफ खान का नाम बदलकर दिलीप कुमार रखा, जो बॉलीवुड के इतिहास में अमर हो गया। 

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