भारत के सबसे उम्रदराज शार्पशूटर्स चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के जीवन पर आधारित फिल्म सांड की आंख 25 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही है। फिल्म में प्रकाशी तोमर के किरदार में तापसी पन्नू और चंद्रो तोमर के रोल में भूमि पेडनेकर नजर आ रही हैं। फिल्म का फर्स्ट हाफ एक पल के लिए भी दर्शकों सीट से उठने नहीं देता। बता दें कि दमदार कहानी और जबरदस्त डायलॉग 'सांड की आंख' को बेहद शानदार बनाती है।
फिल्म में प्रकाशी और चंद्रो के जीवन को दिखाया गया है। साथ ही बताया गया कि कैसे दोनों समाज की दकियानूसी सोच से बाहर निकलकर एक फेमस शूटर बनती हैं। शूटर दादी की जिंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं उनके कोच डॉक्टर यशपाल। डॉ. यशपाल की भूमिका में विनीत सिंह नजर आ रहे हैं।
कहानी- जोहरी गांव, बागपत की रहने वाली चंद्गो तोमर और प्रकाशी तोमर की है जो अपने परिवार में पूरी तरह रम चुकी हैं। परिवार ऐसा जहां महिलाओं को आजादी से सांस लेने और बाहर जाने तक की इजाजत नहीं है। घर संभालना, बच्चे पैदा करना और खेतों में काम करना ही उनकी जिंदगी बन गई थी। मर्दों को तकलीफ ना हो इसके लिए अलग-अलग रंग के दुप्ट्टे पहनती हैं। जिससे पति अपनी पत्नी को पहचान सकें। परिवार के सख्त नियम में चंद्रो और प्रकाशी अपनी आधी उम्र गुजार देती हैं। लेकिन सोचती है कि जैसी जिंदगी उनकी है वैसी बेटियों और पोतियों की ना हो। बेटियों और पोतियों की राह बनाते-बनाते प्रकाशी और चंद्रो खुद शूटर दादी बन जाती हैं। जिसके बाद कहानी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। फिल्म अंत में महिला सशक्तिकरण को लेकर एक अच्छा संदेश देती है।
डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले- तुषार हीरानंदानी ने फिल्म सांड की आंख से बतौर डायरेक्टर बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इससे पहले वो हाफ गर्लफ्रेंड, ग्रेट ग्रैंड मस्ती, मैं तेरा हीरो, एक विलेन आदी फिल्मों के राइटर रह चुके हैं। पर्दे पर उन्होंने शूटर दादी की कहानी को बखूबी उतारा है। दमदार डायलॉग और पंच इस कहानी को और भी खूबसूरत बनाते है। बॉलीवुड में अक्सर इस तरह की फिल्मों में जबरदस्त ड्रामा देखने को मिलता है। लेकिन सांड की आंख में तुषार ने कहानी में सभी चीजों को बराबर तरीके से दिखाया है।
एक्टिंग
चंद्रो के किरदार को भूमि पेडनेकर और प्रकाशी के किरदार को तापसी पन्नू ने जबरदस्त तरीके से निभाया है। पर्दे पर दोनों एक्ट्रेस ने किरदार को सिर्फ निभाया ही नहीं है बल्कि उसे जिया भी है। फिल्म में एक और शख्स है जो इस कहानी का अहम हिस्सा है वो है डॉक्टर यशपाल जो कि प्रकाशी और चंद्रो के कोच हैं। इस किरदार में विनीत सिंह को देखकर लोगों को प्यार हो जाएगा। इसके अलावा सरपंच सतपाल सिंह के किरदार में प्रकाश झा ने भी देसी हरियाणवी व्यक्ति का अच्छा किरदार निभाया है।
सिनेमेटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर-
सांड की आंख की सिनेमेटोग्राफी बेहद जबरदस्त थी और इसका बैकग्राउंड स्कोर आपको पूरी तरह से बांधे रखता है। फिल्म में एक्टिंग के साथ गाने भी काफी अच्छे हैं। वहीं फिल्म का सेकेंड हाफ थोड़ा धीमा नजर आता है। फर्स्ट हाफ की तुलना में सेकेंड हाफ में थोड़ी एडिटिंग की जरूरत नजर आती है। इसके अलावा फिल्म में बार बार सीन को दोहराया गया है जो लोगों को भटकाने के लिए काफी है। करीब 148 मिनट की कहानी से दर्शकों को बांधने में संगीत ने मुख्य भूमिका निभाई हैं। वुमनिया और उड़ता तीतर जैसे गाने कहानी के हिसाब से एकदम फिट बैठते हैं।
इसके अलावा प्रोस्थेटिक की बात करें तो कई सीन्स में आंखों को चुभता है। जो कि दर्शक भी आसानी से पकड़ लेते हैं। हालांकि तापसी और भूमि की एक्टिंग के आगे ये कमी आपको फीकी नजर आएगी। वहीं बाकी हिस्सों पर जोर डाले तो फिल्म आपको मनोरंजन के साथ-साथ बताती है कि जहां चाह वहां रहा भी है।
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