आए दिन प्रदूषण खबरों में सुर्खियां बटोर रहा है, हर एक इंसान को बढ़ते प्रदूषण के कारण इस वातावरण में अपने हेल्थ की चिंता सता रही है। अक्सर यह देखा जाता है कि ठंड के आते ही प्रदूषण बढ़ने लग जाता है। प्रदूषण का बढ़ना हर जीव के लिए हानिकारक है चाहे वह इंसान हो, जानवर हो, पेड़-पौधे हो, या पक्षी हो। आसमान में छाए प्रदूषण के अंदर कई छोटे-छोटे धूल के कण और पॉलिन ग्रेंस होते हैं जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम के अंदर जाकर इरिटेशन और फेफड़ों से रिलेटेड बीमारियों और कठिनाइयों को पैदा करते हैं।
इस समय यह जरूरी है कि आप अपने और अपने परिवारजनों के हेल्थ का ध्यान अच्छी तरह से रखें। फेफड़ों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप इस लेख में दिए गए विटामिन्स को अपने जीवन में जरूर अपनाइए। गौरतलब है कि हमारे आसपास कुछ ऐसे विटामिन्स मौजूद हैं जो हमारे लंग्स की रक्षा करते हैं और सेल डैमेज होने से बचाते हैं।
चलिए जानते हैं कौन से हैं वह विटामिन और उनके फायदे क्या हैं (Vitamins to protect you from air pollution)
विटामिन ए
विटामिन ए, एक फैट-सॉल्युबल न्यूट्रिएंट है जो लंग्स की सुरक्षा के लिए कारगर है। इसका सेवन करने से इम्युनिटी बढ़ती है जो सेल्स को रीजेनरेट करता है। प्रदूषण के समय विटामिन ए का सेवन करना इसलिए जरूरी है क्योंकि सेल रीजनरेट होने की वजह से लंग्स के टिशु नेचुरली रिपेयर होते रहते हैं। विटामिन ए टिशु और सेल्स तो डेवलप करता ही है साथ में यह एंब्रॉयनिक लंग डेवलपमेंट के लिए भी जाना जाता है।
विटामिन ए की एक खासियत है कि यह फैट-सॉल्युबल विटामिन है, जो हमारे शरीर में लंबे समय तक रहता है और इसका सेवन कम क्वांटिटी में किया जाता है। अगर विटामिन ए का ओवरडोज हो जाए तो यह लीवर और हड्डियों से रिलेटेड परेशानियों को बढ़ा देता है। विटामिन ए डेयरी प्रोडक्ट्स, मछली, फोर्टीफाइड सीरियल्स, गाजर, ब्रॉकली, खरबूजा और स्क्वैश में मौजूद होता है।
विटामिन सी
विटामिन सी का उपयोग कई चीजों के लिए किया जाता है, लेकिन यह लंग्स को क्रॉनिक डिजीज से भी बचाता है। अगर आप विटामिन सी का सेवन हर दिन उपयुक्त मात्रा में करते हैं तो यह आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है और कॉलेजन फॉर्मेशन को प्रमोट करता है। स्मोकिंग और प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों के अंदर फ्री रेडिकल्स और टॉक्सिंस आ जाते हैं जो हमारे शरीर के अंदर इन्फ्लेमेशन को बढ़ाते हैं। विटामिन सी इन्हीं फ्री रेडिकल्स और टॉक्सिन से हमारे शरीर को बचाता है जिससे मॉलिक्यूल डैमेज नहीं होते हैं।
साथ में यह हमारे फेफड़ों के टिशु डैमेज रेट को कम करता है और हमारे शरीर को नेचुरली रिपेयर करता है। 2014 में एलर्जी, अस्थमा एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी द्वारा किए गए शोध में यह पता चला था कि विटामिन सी हमारे लंग फंक्शन को बढ़ाता है और हाफ ड्यूरिंग और आफ्टर एक्सरसाइज के बाद होने वाले रेस्पिरेट्री सिम्टम्स के इंसिडेंस को खत्म करता है। विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इसके गुणवत्ता का मुख्य कारण है। सिट्रस फ्रूट्स, लाल मिर्च, अमरूद, कीवी, ब्रॉकली और जामुन में विटामिन सी भारी मात्रा में होता है जिन्हें आपको जरूर खाना चाहिए।
विटामिन डी
विटामिन डी को हम दांतों और हड्डियों को मजबूत करने वाले विटामिन के तौर पर जानते हैं। लेकिन विटामिन डी का उपयोग रेस्पिरेट्री इंफेक्शन और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज को कम करने के लिए भी किया जाता है। एक शोध के अनुसार यह पता चला था कि अगर किसी इंसान के अंदर विटामिन डी की कमी होती है तो घरघराहट, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और दूसरे रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स होने का रिस्क बढ़ जाता है।
अगर आप विटामिन डी को नियमित मात्रा में लेंगे तो इससे आपका लंग फंक्शन इंप्रूव होगा। विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स सूरज की किरणें हैं। लेकिन टूना, सैल्मन, सार्डिन, सीप और अंडे की जर्दी में विटामिन डी कुदरती तौर पर हाई लेवल में मौजूद होता है।