कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है दिल्ली का प्रदूषण, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

हेल्थ
प्रेरित कुमार
Updated Nov 08, 2021 | 16:45 IST

राजधानी दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील होने लगी है। दूषित हवा के कारण लोगों को घुटन, आंखों में जलन महसूस होने लगी है। यही नहीं, प्रदूषण के कारण कोरोना का खतरा भी बढ़ गया है।

Delhi Pollution
Delhi Pollution 
मुख्य बातें
  • पॉल्युशन की वजह से कोरोना का खतरा और बढ़ेगा।
  • प्रदूषण के कारण 'एसिम्प्टेमेटिक' कोरोना संक्रमित व्यक्ति ICU तक जा सकते हैं।
  • पॉल्युशन और कोरोना अगर मिल जाए तो वह बहुत ही घातक हो जाएगा।

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली की बदलती हवा पूरे शहर को गैस चेंबर में तब्दील करने लगी है। प्रदूषित हवा की वजह से लोगों को घुटन और आंखों में जलन महसूस होने लगी है। ऐसी आबोहवा में यह कहा जा रहा है कि पॉल्युशन की वजह से कोरोना का खतरा और बढ़ेगा। साथ ही प्रदूषण से दूषित फेफड़ा 'ए सिम्प्टेमेटिक' कोरोना संक्रमित व्यक्ति को ICU तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा।

कोरोना और प्रदूषण मिलकर आम लोगों को कितना बड़ा खतरा पहुंचा सकता है, हमारे संवाददाता प्रेरित कुमार ने वरिष्ठ कैंसर चिकित्सक डॉ अंशुमान कुमार से बातचीत में पूछा। पॉल्युशन और कोरोना अगर मिल जाए तो वह बहुत ही घातक हो जाएगा। दरअसल पॉल्यूशन फेफड़े की नली जिसे विंड पाइप भी कहते हैं उसमें सूजन कराता है, जिससे उसमें इन्फेक्शन और इंफ्लामेशन होने लगता है। 

ऑक्सीजन को रोकता है
सूजन के कारण हवा फेफड़े में पूरी तरह अंदर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे व्यक्ति में अगर कोरोना का संक्रमण पाया जाए तो वह बहुत खतरनाक हो जाएगा। कोरोना भी इंफ्लामेशन कराता है और छोटी-छोटी कोशिकाओं की नालियों में सूजन कराता है। इसके अलावा ये माइक्रो क्लॉट बनाता है। आखिर में खून का थक्का बन जाता है। ऐसी स्थिति में यह पूरी तरीके से ऑक्सीजन को अंदर जाने से रोकता है। 

आईसीयू में भर्ती होने का खतरा 
पॉल्युशन और कोरोना के मिलने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगेगी। शरीर में फेफडे द्वारा ऑक्सीजन का संचार सही तरीके से होना चाहिए वह नहीं हो पाएगा। ऐसी अवस्था में जो व्यक्ति आमतौर पर कोरोना के संक्रमण में माइल्ड मॉडरेट सिम्टम्स या ए सिम्प्टेमेटिक लेकर आता वो भी सीवियर सिम्टम्स लेकर आएगा। उसके आईसीयू में भर्ती की संभावना बढ़ सकती हैं। उसको ऑक्सीजन की जरूरत होगा, जो आमतौर पर नहीं होती है। 

क्या तीसरी लहर के होंगे ये कारण
तीसरी लहर की जो संभावना थी वह पहले सितंबर में जताई गई, फिर नवंबर में हुई। और अब वह आगे बढ़ रही है। क्योंकि वैक्सीनेशन के कारण वह आगे पुश हो गई। लोगों ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिन्ग का भी पालन किया। लेकिन फेस्टिव सीजन आते ही लोगों ने समझ लिया कि अब तीसरी लहर नहीं आएगी। इसके बाद लोगों ने गैदरिंग चालू कर दी। साथ में अब पॉल्युशन भी होने लगा। 

तीसरे लहर दरवाजे पर
ठंड का मौसम भी शुरू हो गया। आद्रता बढ़ गई। इन सब का मिलाजुला असर कोरोना की तीसरी लहर को लाने में काफी मदद करेगी। दूसरा जिनको पहले वैक्सीनेशन लगा था अब उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगी जिसे लेकर एक बड़ा लौट तैयार हो रहा है जिसकी बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है। तो इन सब का मिलाजुला असर हमें भी तीसरी लहर के दरवाजे पर पहुंचाएगा

क्या बरते सावधानियां
पहले के मुकाबले अब ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। दूसरी लहर जब आई थी तब गर्मी का समय था इसलिए प्रदूषण इस स्तर तक नहीं था। अभी प्रदूषण या कोरोना के कारण कोई भी लक्षण महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। और जल्द से जल्द इलाज शुरू कराएं। ऑक्सीजन सप्लीमेंट अर्लीस्ट लें, क्योंकि इस तरह के जो सिम्टम्स है वह कभी भी आपकी जान को खतरे में पहुंचा सकता है। इसलिए इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज़ न करें।

दो-तीन महीने की बात
कोरोनावायरस के लिए हम जिस मास्क का इस्तेमाल कर रहे थे वही मास्क प्रदूषण से भी बचने के लिए सहायक है। क्योंकि प्रदूषण की सबसे कम क्षमता PM 2.5 की है इससे बचना है। बस 2 से 3 महीने की बात है। इसी समय पर प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर रहता है। उसके बाद प्रदूषण कम होने लगेगा। 

उस वक्त सिर्फ कोरोना का रिस्क रहेगा। लेकिन अभी मल्टीपल रिस्क है। कोरोना वायरस, कोल्ड वेव, सीजनल फ्लू और ह्यूमिडिटी इन सब का मिलाजुला असर घातक होगा।
 

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