Breakups Effects Your Health: अगर बात करें दिल टूटने की तो सबसे पहले इस बारे में बात होनी चाहिए कि क्या वाकई में दिल टूटता है? और अगर इसका जवाब हां है तो कैसे और क्यों? कहते हैं दिल टूटने से कोई आवाज नहीं आती। लेकिन इसका असर जरूर होता है। इसे तकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी (Takotsubo cardiomyopathy) कहा जाता है. ये एक जापानी शब्द है। इसका मतलब होता है ब्रोकन हार्ड सिंड्रोम।
आमतौर पर दिल टूटना को प्यार मोहब्बत में बेवफाई या ब्रेकअप मान लिया जाता है। लेकिन दिल टूटने का कारण सिर्फ ब्रेकअप ही नहीं, बल्कि इसके अलावा भी कई कारण होते हैं। आइये जानते ब्रेकअप के साथ दिल टूटने की दूसरी वजह और इससे होने वाली मानिसक और शारीरिक समस्याएं।
किसी कारण रिलेशनशिप टूटने के बाद दर्दभरे अनुभव से गुजरना पड़ता है। ना चाहते हुए भी इसका सामना करना पड़ता है। ब्रेकअप जिंदगी में कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं को पैदा करता है। ब्रेकअप के दौरान बहुत अधिक तनाव होने से शरीर में कोर्टिजोल बढ़ता है। इससे शरीर में फैट्स कम करने में रुकावट होती है और वजन तेजी से बढ़ता जाता है।
अचानक बिजनेस में बहुत बड़ा घाटा हो जाना या नौकरी से किसी कारण निकाल दिया जाना या फिर रुपये-पैसों का नुसकान होने का असर सीधा दीमाग पर पड़ता है। लोग समझ नहीं पाते कि इसके बाद क्या होगा। कई लोगों पर घर की जिम्मेदारी होती है। ये सभी तनाव गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
सिर्फ लव रिलेशनशिप ही नहीं बल्कि किसी भी ऐसे रिश्ते में जिसपर आप काफी विश्वास करते हों। अगर उससे धोखा मिले तो ये बात भी बर्दाश्त नहीं होती। इससे आप अपनी सेहत का ख्याल नहीं ऱखते और तनाव में उलझे रहते हैं। इससे आपका वजन तेजी से कम हो जाता है। डाइट फर्म फ्रोजा सप्लीमेंट की एक सर्वे के मुताबिक, लंबे समय तक चला कोई रिश्ता टूटने के बाद एक महीने में लगभग 2.26 किलोग्राम तक कम हो जाता है।
अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आप शारीरिक तौर पर पहले से ही इससे परेशान हैं। लेकिन बीमारी को लंबे समय से झेलते हुए आप इतने परेशान हो जाते हैं कि धीरे धीरे इसका असर दिल-दीमाग पर भी होने लगता है। क्योंकि इस दौरान दीमाग में कई नेगेटिव विचार आते हैं और इसका असर शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम पर पड़ता है।
किसी प्रिय या फिर घर-परिवार से बुरी खबर सुनना जैसे किसी की मृत्यु आदि। ऐसे खबर सुनने के बाद आपकी नींद आपका साथ छोड़ देती है। आप चाहकर भी सो नहीं पाते। इससे शरीर में बढ़ने वाला र्कोटिजोल नींद और बॉडी क्लॉक पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
तनावपूर्ण घटनाओं से जुड़े लोगों में अगर इस तरह के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि समय रहते इलाज किया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।