सरफेस से वायरस का ट्रांसमिशन का कितना खतरा होता है? ये है डॉक्टर का जवाब

हेल्थ
Updated Apr 19, 2021 | 16:35 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Surface Transmission: कोरोना वायरस के कहर ने लोगों के मन में काफी चिंता बैठा दी है। यहां जानें की सरफेस से वायरस के ट्रांसमिशन का कितना खतरा है।

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फाइल फोटो 

नई दिल्ली: कोरोना वायरस कैसे फैलता है? ये किस तरह लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है? ऐसे कई सवाल लोगों के मन में बने हुए हैं। वो क्या-क्या सावधानी बरतें जिससे वो कोरोना के चपेट में न आएं। एक सवाल है कि सरफेस से वायरस का ट्रांसमिशन का कितना खतरा होता है?

हाथ साफ करते रहना जरूरी

'आकाशवाणी समाचार' के अनुसार, सफदरजंग अस्पताल की डॉ. गीता कमपानी ने बताया है कि ये निर्भर करता है कि व्यक्ति में संक्रमण का स्तर क्या था, अगर वायरल लोड ज्यादा रहता है तो सरफेस पर खांसने या छींकने से वायरस ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा सरफेस का स्थान कहां है, खुले में है या बाहर में, इस पर भी निर्भर करता है साथ ही सरफेस किस तरह का लोहा, कागज या प्लास्टिक कैसा है। इसके लिए जरूरी है कि मास्क लगाने के साथ ही अपने हाथ हमेशा सैनेटाइज करते रहे या साबुन पानी से हाथ धोते रहें। 

'वायरस सरफेस पर है तो कुछ समय तक जिंदा रहता है'

वहीं जब ये सवाल किया गया कि अमेरिका में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है कि सरफेस से कोरोना का संक्रमण नहीं होता, इस पर क्या कहेंगे? इसके जवाब में एम्स के डॉ. राकेश गर्ग ने कहा है, 'अगर कोविड के इलाज और पहचान की बात करें तो काफी कुछ बदलाव आया है। कई दवाइयों और टेस्ट के बाद पता चला है कि इसका इस तरह से इलाज होगा। उसी तरह जहां तक सरफेस की बात या फैलने के तरीके की बात है तो किसी भी व्यक्ति के खांसने या छींकने से वायरस सामने वाले के ऊपर जा सकता है। अगर वायरस सरफेस पर है तो कुछ समय तक जिंदा रहता है और वहां लोगों का हाथ पड़ा तो संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए मास्क लगा कर रखेंगे तो छींक या खांसी भी बाहर या सरफेस पर नहां जाएगी। इसलिए बाहर बेवजह न जाएं।'

नीति आयोग के हेल्थ मेंबर डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि सरफेस ट्रांसमिशन की तुलना में हवा में ट्रांसमिशन अधिक प्रचलित है। 

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