क्‍या स्‍टेरॉयड से मिलेगी कोरोना के खिलाफ जंग में मदद? रिसर्च में सामने आई यह बात

Coronavirus steroid medicine: कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में मची तबाही के बीच एक रिसर्च में पाया गया है कि स्टेरॉयड से गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के रोगियों के इलाज में कारगर हो सकता है।

क्‍या स्‍टेरॉयड से मिलेगी कोरोना के खिलाफ जंग में मदद? रिसर्च में सामने आई यह बात
क्‍या स्‍टेरॉयड से मिलेगी कोरोना के खिलाफ जंग में मदद? रिसर्च में सामने आई यह बात  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • कोरोना संक्रमण से दुनियाभर में तबाही मची हुई है
  • कोरोना से जंग में स्‍टेरॉयड को कारकर समझा जा रहा है
  • सात अध्‍ययनों के विश्‍लेषण से यह नतीजा निकाला गया है

नई दिल्‍ली : दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण से मची तबाही के बीच एक रिसर्च में यह सामने आया है कि विभिन्‍न प्रकार के स्टेरॉयड से गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के रोगियों की हालत में सुधार हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में सात अध्‍ययनों के नतीजों के विश्लेषण में पाया गया कि स्टेरॉयड ने पहले महीने में प्लेसबो ट्रीटमेंट या सामान्य उपचार की तुलना में लगभग एक तिहाई मौत का जोखिम कम कर दिया। गंभीर रूप से बीमार इनमें से अधिकांश मरीजों को अतिरिक्‍त ऑक्‍सीजन की आवश्‍यकता थी।

7 रिसर्च से सामने आई ये बात

यह रिसर्च अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित हुई है, जिसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. मार्टिन लैंडरे के हवाले से कहा गया है कि अध्‍यन के नतीजे स्टेरॉयड के अधिक विकल्पों पर विचार करने पर जोर देता है। डॉ. मार्टिन लैंडरे ने इस संबंध में डब्‍ल्‍यूएचओ की अगुवाई में से हुए सात में से एक अध्ययन का नेतृत्व किया। वहीं, इंपीरियल कॉलेज लंदन के डॉ. एंथनी गॉर्डन ने अध्‍ययन के नतीजों को एक बड़ा कदम बताया। हालांकि उन्‍होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि ये नतीजे भले ही प्रभावशाली हैं, पर यह इलाज नहीं है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, स्टेरॉयड दवाएं अपेक्षाकृत किफायती हैं और व्यापक रूप से उपलब्ध भी हैं। दशकों से इनका इस्‍तेमाल भी होता रहा है। ये इन्फ्लमैशन को कम करने में कारगर हैं, जो कई बार कोरोना संक्रमण के रोगियों में देखा जाता है। ऐसा संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की अतिसक्रियता की वजह से होता है, जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और यह घातक साबित हो सकता है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि ये दवाएं उसी तरह की स्टेरॉयड नहीं हैं, जिसका इस्‍तेमाल या दुरुपयोग एथलेटिक्‍स में किया जाता है।

जोखिम भरा भी हो सकता है स्‍टेरॉयड 

ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जून के एक रिसर्च में पाया गया कि डेक्सामेथासोन नामक एक स्टेरॉयड के इस्‍तेमाल से कोविड-19 के गंभीर रोगियों में मौत का खतरा 35 प्रतिशत तक कम हो गया। ये मरीज अस्‍पताल में भर्ती थे, जिन्हें सांस लेने के लिए मशीन की जरूरत थी, जबकि 20 प्रतिशत मरीजों को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्‍यकता थी। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन मरीजों की हालत सामान्‍य है, उन्‍हें इससे मदद नहीं मिलने वाली, बल्कि बीमारी के विभ‍िन्‍न चरणों को देखते हुए इसका नुकसान भी हो सकता है।

इस अध्‍ययन के नतीजे ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में स्टेरॉयड की भूमिका पर रिसर्च को भी प्रेरित किया, ताकि अधिक से अधिक लोगों को यह दवा देने पर फैसला लिया जा सके। अब डब्‍ल्‍यूएचओ की अगुवाई में हुए नए अध्‍ययन में इस पर भी फोकस किया गया है कि क्‍या सभी तरह के स्टेरॉयड का मरीजों पर समान असर होता है। रिसर्च के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार जिन 678 रोगियों को स्टेरॉयड दी गई, उनमें से 222 लोगों की जान गई, जबकि जिन 1,025 रोगियों को प्लेसबो या सामान्य उपचार दिया गया, उनमें से 425 लोगों की मौत हुई।

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