बच्चों के लंग्स आठ साल तक विकसित होते रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि नवजात शिशुओं के साथ ही कम से कम आठ साल तक बच्चों पर खास ध्यान दिया जाए। पॉल्यूशन से बच्चों को बचाने के लिए कुछ जरूरी उपाय पेरेंट्स को करने चाहिए। स्मॉग के समय बच्चों का खानपान ही नहीं, वह शुद्ध सांस लें इसका भी ध्यान देना चाहिए। यदि नवजात बच्चों पर ध्यान न दिया जाए तो उन्हें अस्थमा और एलर्जी की समस्या बहुत आसानी से जकड़ सकती है।
पौष्टिक और संतुलित खानपान, प्रदूषण रहित माहौल और कुछ पौधों को लगाकर आप हर किसी को प्रदूषण के प्रभाव से बचा सकते हैं। तो आइए जानें की छोटे और नवजात शिशुओं को प्रदूषण से कैसे बचाया जा सकता है...
जानें उम्र के अनुसार कैसे बचाएं बच्चों को प्रदूषण से
0-1 साल : नवजात शिशु जो खुद को अभी बाहरी माहौल में ढालना सीख रहा है, उसे पॉल्यूशन से बचाने के लिए आपको बेहद सतर्क होना होगा। ऐसे बच्चों को सबसे पहले बाहर निकालने से बचें। जिस कमरे में शिशु हो, उस कमरे के खिड़की दरवाजे को बंद रखें। कमरें में अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाएं, एयरप्यूरिफायर का यूज करें। साथ ही कोशिश करें कि बाहर से आने पर आप सीधे शिशु के कमरे में न जाएं। अपने कपड़े-हाथ आदि धुल कर उसके कमरे में जाएं, ताकि कपड़ों में चिपके नैनौ पार्टिकल्स भी उस तक न पहुंचें। यदि शिशु छह महीने से ऊपर का है तो उसे पानी पिलाते रहें ताकि उसके शरीर से हानिकारक पदार्थ निकलते रहें। नन्हें बच्चों के हाथों को वाइप्स से पोंछते रहें ताकि पाल्यूशन कण यदि उनके कपड़ों और हाथ में चिपका हो तो उनके हांथों से मुंह में न जा सके।
2-4 साल : दो साल से चार साल तक के बच्चे घर में बंध कर रहना नहीं चाहते। उन्हें बाहर घूमना और खेलना पसंद होता है। ऐसे में उनको पॉल्यूशन से बचाना सबसे कठिन काम होता है, क्योंकि ये मास्क जैसी चीजें भी तुरंत हटा देते हैं। ऐसें आप आप कोशिश करें कि इन्हें इंडोर गेम में शामिल करें। साथ ही इन्हें विटामिन सी युक्त चीजें खाने और पीने को ज्यादा दें। बाहर जाने से बचाएं। यदि बाहर ले जा रहे हैं तो इन्हें मास्क जरूर लगाएं। तले-भूनी चीजों को खिलाने से बचें क्योंकि सांस कि नली में चिपके नैनो पार्टिकल्स तेल से चिपक कर गले को चोक कर सकते हैं। इसलिए इन्हें गुनगुना पानी पिलाते रहें। सोने से पहले गुड़ खिलाएं और मुंह धुला दें। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
5-8 साल : पांच से 8 साल के बच्चों को बाहर जाने से रोकें। यदि बच्चे बाहर जाएं तो उन्हें चश्मा पहनाएं और स्कार्फ से चेहरे ढक दें। यदि मास्क पहना रहे तो मास्क एन 95 (N-95 Mask) का इस्तेमाल करें। ये पॉल्यूशन को करीब 95 प्रतिशत सांस के जरिये अंदर जाने से रोकते हैं। जब भी ये बाहर से घर में आएं इन्हें भाप दिलाएं ताकि पॉल्यूशन या सीने में होने वाली जकड़न से बचा जा सके। खाने में विटामिन सी, ई से भरी चीजें दें। कोशिश करें कि जब भी ये पानी पीएं गुनगुना हो। रात से में सोते समय गुड़ खिला कर सुलाएं। इन बच्चों को आप अदरक और तुलसी की चाय पिलाएं।
घर को ऐसे बनाएं प्रदूषण मुक्त
घर में खिड़की-दरवाजे बंद कर रखें। कोशिश करें कि कमरे के दरवाजे दिन में तीन से चार बार दो से तीन मिनट के लिए खोल कर बंद कर दें। ताकि ऑक्सीजन की कमी न होने पाएं। घर में प्रदूषण कम करने वाले पौधे लगाएं जैसे बेंबू पाम, ड्रेगन ट्री, स्पाइडर प्लांट्स, एलोवेरा, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, पाइन प्लांट, अरीका पाम और इंग्लिश आइवी आदि । इन पौधों को घर के अंदर रखें ताकि ये ऑक्सीजन को बढ़ाएं।
घर में एयर प्यूरीफायर का भी प्रयोग कर सकते हैं, ताकि घर के अंदर की हवा शुद्ध हो सके। घर में ज्यादातर वेक्यूम क्लिनर का प्रयोग करें, ताकि धूल-धक्कड़ से बचा जा सके। बच्चों को आहार में विटामिन सी, ओमेगा 3 और मैग्निशियम, हल्दी, गुड़, अखरोट आदि का सेवन कराएं। तो इन बातों का खास ध्यान दे कर आप खुद और अपने नवजात बच्चों का प्रदूषण से ख्याल रख सकते हैं।