नई दिल्ली. शहद में मौजूद कई तरह के एंजाइम्स और न्यूट्रीशियन न केवल सेहत के लिए अच्छे होते हैं, बल्कि ये खूबसूरती के लिए भी बहुत अच्छा होता है। हालांकि, ब्राउन शहद तो आपने बहुत देखा और खाया होगा, लेकिन क्या आप सफेद शहद के बारे में जानते हैं?
सफेद शहद रंग में सफेद होता है। इस शहद को निकालने में किसी भी प्रकार की हीटिंग का प्रयोग नहीं होता। इससे इसमें भूरे शहद से ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट होता है। ये गहरे रंग के शहद से ज्यादा फायदेमंद होता है। सफेद शहद सेज, अल्फाल्फा और सफेद तिपतिया घास से एकत्र होता है।
फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक नामक यौगिक और एंटीऑक्सिडेंट्स सफेद शहद में ज्यादा होते हैं। ये सारे ही तत्व शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं और कोशिका क्षति होने से भी बचाते हैं। फ्री रेडिकल्स यदि शरीर में बढ़ता है तो ये एजिंग के साथ ही कैंसर और दिल की बीमारी जैसे जोखिम को बढ़ाता है।
कफ और खांसी से दिलाता है राहत
सफेद शहद कफ और खांसी के लिए भूरे शहद से ज्यादा फायदेमंद होता है। गले में खराश, संक्रमण आदि में बहुत जादुई तरीके से काम करता है। हालांकि इसे शिशु और गर्भवती महिलाओं को नहीं लेना चाहिए।
सफेद शहद नींबू या ग्रीन टी में डाल कर पीना बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा ये पाचन संबंधी समस्याओं में बहुत काम आता है। दस्त और अल्सर जैसे रोगों में भी सफेद शहद बहुत मददगार होता है। एक से दो चम्मच लेने भर से पेट का दर्द सही हो जाता है।
इन लोगों को नहीं लेना चाहिए सफेद शहद
सफेद शहद में माइक्रोबियल सामग्री ज्यादा होती है और ये बोटुलिज़्म का कारण बन सकता है। ये गंभीर बीमारी होती है जिसमें पैरालिसिस का खतरा बढ़ता है। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अलावा जिन लोगों का इम्युन बेहद कम होता है, उन्हें सफेद शहद नहीं लेना चाहिए।
सफेद शहद में फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं और ये स्किन और घावों को तुरंत भरने के लिए फायदेमंद होता है। ये हानिकारक बैक्टीरिया और फंगस को भी नष्ट कर सकता है। इसे फेस पर लगाने से चेहरे की अशुद्धियां दूर होती हैं।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)