VIDEO: जब प्रोटोकॉल तोड़ बच्चों से मिलने पहुंचे PM, पंजाब के कलाकारों से बोले- जरा, प्रस्तुति तो दीजिए...देखें- फिर क्या हुआ

देश
अभिषेक गुप्ता
अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Aug 15, 2022 | 09:57 IST

76th Independence Day: देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों और भारतीयों को आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई दी।

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भंगड़ा-गिद्दा करते पंजाब के कलाकारों की प्रस्तुति को देखते हुए पीएम मोदी।  |  तस्वीर साभार: Times Now
मुख्य बातें
  • लाल किला से लगातार नौवीं बार देश को PM के नाते किया संबोधित
  • विकसित भारत के लिए पीएम ने ‘‘पंच प्रण’’ का किया लोगों से आह्वान
  • बोले- आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन

76th Independence Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (15 अगस्त, 2022) को लाल किला परिसर में बच्चों से भी मुखातिब हुए। राष्ट्र के नाम अपने भाषण के ऐन बाद उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़ा और सीधे विभिन्न सूबों से आए कलाकार बच्चों के बीच पहुंच गए। उन्होंने इस दौरान पंजाब वाले सेक्शन में सजे-धजे बच्चों से आग्रह किया कि वह उन्हें कुछ सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर दिखाएं। पीएम की इस अपील पर वे बच्चे भी फट से राजी हुए और अपनी कुर्सियां छोड़ते हुए सामने आकर भंगड़ा या गिद्दा सरीखा नृत्य करने लगे। पीएम भी उनके डांस का आनंद लेते हुए तालियां बजाने लगे।

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पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग की जैकेट के साथ तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहने प्रधानमंत्री बड़े ही सरल, सौम्य और सहज अंदाज में बच्चों के बीच पहुंचे। वह इसके बाद कुछ का अभिवादन स्वीकारने लगे, जबकि कुछ से हाथ मिलाने लगे। वह नॉर्थ ईस्ट होते हुए म.प्र के रास्ते गुजरात, गोवा और तमिल नाडु वाले सेक्शन में दाखिल हुए और बच्चों से मिले। पंजाब वाले हिस्से में पहुंचे तो बच्चों का डांस देखा और उस दौरान मुस्कुराते हुए ताली बजाने लगे। देखें, घटना से जुड़ा पूरा वीडियोः

समझा जा सकता है कि पीएम होने के बाद भी वह कितनी सहजता से बच्चों से मिले। दरअसल, कार्यक्रम स्थल पर बच्चों का एक बड़ा समूह भारत के नक्शे की आकृति में बिठाया गया था। इस मैप में जिस जगह जो सूबा था, उसी जगह पर उस राज्य के बच्चों को वहां के सांस्कृतिक परिधान में देखा गया। इस नक्शे के जरिए अनेकता में एकता का संदेश देने की कोशिश भी की गई कि हमारे मुल्क में भले ही कितने सूबे, वहां की संस्कृतियां, पहनावे और तौर-तरीके अलग हों, पर जब हम साथ आते हैं तो एक होते हैं। 

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