एरो इंडिया : दुर्गम इलाकों में रसद पहुंचाएगा यह खास हेलीकॉप्‍टर ड्रोन, जानें भारत में कब होगी पहली उड़ान

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श्वेता कुमारी
Updated Feb 06, 2021 | 06:27 IST

बेंगलुरु में चल रही रक्षा प्रदर्शनी के दौरान लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्‍टर्स और ड्रोन्‍स को लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं। इन्‍हीं में से एक HAL द्वारा हेलीकॉप्‍टर ड्रोन का विकास भी शामिल है।

एरो इंडिया : दुर्गम इलाकों में रशद पहुंचाएगा यह खास हेलीकॉप्‍टर ड्रोन, जानें भारत में कब होगी पहली उड़ान (फाइल फोटो)
एरो इंडिया : दुर्गम इलाकों में रशद पहुंचाएगा यह खास हेलीकॉप्‍टर ड्रोन, जानें भारत में कब होगी पहली उड़ान (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: BCCL

बेंगलुरु : कोरोना वायरस महामारी के बीच देश की प्रतिष्ठित एरोस्पेस एवं रक्षा प्रदर्शनी एरो इंडिया 2021 बेंगलुरु में शुरू की गई है, जो अब समापन की ओर है। 3 फरवरी से शुरू हुई यह प्रदर्शनी कल (शनिवार, 7 फरवरी) समाप्‍त होने वाली है। इस रक्षा प्रदर्शनी के दौरान अब तक 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' और 'मेक इन इंडिया' का स्‍पष्‍ट प्रभाव देखने को मिला है। इस दौरान फाइटर जेट्स को लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं।

दुर्गम इलाकों में मिलेगी विशेष

बेंगलुरु के येलहंका वायु सेना स्टेशन पर आयोजित इस रक्षा प्रदर्शनी में हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के अधिकारियों ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक, HAL एक ऐसा हेलीकॉप्‍टर ड्रोन तैयार कर रहा है, जो धरती से लगभग 5.5 किलोमीटर तक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन हेलीकॉप्‍टर अपने साथ 30 किलोग्राम तक का भार लेकर भी उड़ सकता है। यह इस तरह का अकेला ड्रोन होगा और भारत में इसके जून 2022 तक उड़ान भरने का अनुमान है।

इस खास हेलीकॉप्‍टर ड्रोन का निर्माण HAL भारतीय सेना की मांग पर कर रहा है, जिसके लिए सभी तैयारियां तकरीबन पूरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि इससे सियाचिन की दुर्गम पहाड़‍ियों सहित अरुणाचल प्रदेश के घने जंगल और ऊंचाई वाले अन्‍य इलाकों में तैनात सेना के जवानों तक रशद और अन्‍य सामग्री पहुंचाने में मदद मिलेगी। सियाचिन की धरती से ऊंचाई करीब 3.2 किलोमीटर है और इतनी ऊंचाई पर तैनात जवानों को रशद, हथियार और अन्‍य संसाधन पहुंचाने के लिए फिलहाल चीता हेलीकॉप्‍टर की मदद ली जाती है।

कई खूबियों से लैस होगा ये ड्रोन हेलीकॉप्‍टर

अब HAL द्वारा हल्‍के ड्रोन हेलीकॉप्‍टर के निर्माण से सेना को सियाचिन और अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई तथा घने जंगलों वाले इलाकों में तैनात जवानों तक रशद, हथियार व अन्‍य संसाधन पहुंचाने के लिए एक बेहतर विकल्‍प मिलने की उम्‍मीद की जा रही है। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि यह दिन और रात किसी भी समय संचालित किया जा सकेगा और 24 घंटों में तीन बार उड़ान भरने में सक्षम होगा। यह ड्रोन हेलीकॉप्‍टर सीमा क्षेत्रों में दुश्‍मन द्वारा जीपीएस ब्‍लॉक किए जाने के बाद भी अपने मिशन को पूरा करने में सक्षम होगा।

यह ड्रोन हेलीकॉप्‍टर पूरी तरह ऑटोमैटिक सिस्‍टम से लैस होगा। इसकी एक अन्‍य खास बात यह है कि एक बार हवा में उड़ान भरने के बाद वह 90 दिनों तक लगातार हवा में रह सकता है। यह 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम होगा। इसकी रेंज भी तकरीबन 100 किलोमीटर बताई जाती है। HAL इस खास ड्रोन हेलीकॉप्‍टर को न्‍यूज स्‍पेस रिसर्च एंड टेक्‍नोलॉजी स्‍टार्टअप के साथ मिलकर तैयार कर रहा है। अगले तीन से पांच वर्षों में इसे भारतीय वायुसेना के लिए उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य तय किया गया है।

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