Coal Stock Crisis: आखिर कौन है कोयला स्टॉक संकट के लिए जिम्मेदार, क्या बोले कोयला मंत्री

देश के अलग अलग राज्यों से आवाज उठ रही है कि उनके पावर प्लांट के पास कोयले की कमी है। कोयले का स्टॉक ना होने से उन्हें गंभीर बिजली संकट का सामना कर पड़ सकता है। ऐसे मे कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने खास बयान दिया।

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आखिर कौन है कोयला स्टॉक संकट के लिए जिम्मेदार, क्या बोले कोयला मंत्री  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • कोयला स्टॉक की कमी के लिए कुछ राज्य केंद्र सरकार को ठहरा रहे हैं जिम्मेदार
  • दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान की सरकारों ने केंद्र सरकार को लिखा है खत
  • अलग अलग राज्यों में 5 से 6 घंटे तक बिजली कटौती

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सिरे से उन राज्यों के आरोपों को खारिज कर दिया जो कह रहे हैं उनके पावर प्लांट के पास कोयला नहीं है। कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कल हमने 1.94 मिलियन टन की आपूर्ति की, घरेलू कोयले की अब तक की सबसे अधिक आपूर्ति... जहां तक राज्यों का सवाल है, इस साल जून तक हमने उनसे स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध किया, उनमें से कुछ ने कहा कि "कृपया एक एहसान करें  'अभी कोयला मत भेजो। 

बारिश की वजह से कोयले की कमी
बारिश के कारण कोयले की कमी हो गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 60 रुपये प्रति टन से 190 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई। इसके बाद, आयातित कोयला बिजली संयंत्र या तो 15-20 दिनों के लिए बंद हो जाते हैं या बहुत कम उत्पादन करते हैं। इससे घरेलू कोयले पर पड़ा दबाव पड़ा। हमने अपनी आपूर्ति जारी रखी है, यहां तक कि बकाया के बावजूद अतीत में भी जारी रखा है। हम उनसे (राज्यों) स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं ... कोयले की कमी नहीं होगी। 


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क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि अगर कोयला मंत्री यह कहते हैं कि अगर कुछ राज्यों ने स्टॉक बढ़ाए जाने के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया तो क्या राज्य सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए केंद्र सरकार पर तोहमत लगा रहे हैं। इस विषय पर जानकारों का कहना है कि यह बात सच है कि इस वर्ष मानसून की वजह से ज्यादा बारिश हुई और उसका असर यह हुआ कि कोल माइंस में पानी भर गया और उसकी वजह से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ। लेकिन केंद्र सरकार भी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है। दरअसल जितनी भी कोल कंपनियां हैं वो सब केंद्र सरकार के अधीन हैं, लिहाजा राज्य कोयले के संबंध में अपनी चिंता किसे बताएंगे। 

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