नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में पिछले दो महीने से जो तनाव बना हुआ था उसमें कुछ कमी आने के संकेत मिले हैं। भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय बातचीत के बाद यह तय हुआ है कि दोनों देशों के लिए बेहतर यही है कि मतभिन्नता, विवाद का शक्ल अख्तियार न करे। सोमवार की सुबह एक अच्छी खबर आई कि गलवान घाटी से दोनों सेनाएं पीछे हटने पर सहमत हैं और चीनी सेना अपने टेंट को हटाकर करीब 1.5 किमी पीछे जा चुकी है। लेकिन इसकी स्क्रिप्ट बीती रात ही लिखी जा चुकी थी।
कुछ इस तरह तैयार हुई स्क्रिप्ट
एनएसएस अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई और शांति बहाली पर बल दिया गया। लेकिन इस बातचीत का नतीजा अपने अंजाम पर इसलिए पहुंचा क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि विस्तारवाद की नीति को तिलांजलि देनी होगी तो इशारा साफ था कि चीन को नए सिरे से सोचने की जरूरत है। यहीं से बड़ा सवाल उठता है कि आखिर 15 जनू को हिंसक झड़प के बाद चीन को क्यों याद आया कि अब भारत के साथ तनाव की बोली काम नहीं करेगी तो इसके पीछे ठोस वजह भी है। इसके लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा।
पीएम मोदी लगातार संदेशा देते रहे
जानकार कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी इशारों इशारों में एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया। लेकिन एक बात साफ कर दी कि भारत दोस्ती निभाना भी जानता है तो आंखों में आंख डालकर बात भी करना जानता है। भारत भूमि पर किसी को आंख दिखाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है, भारत अपनी संप्रभुता के साथ समझौता नहीं कर सकता है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत यह संदेश देने में सफल रहा कि चीन की इस तरह की हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। चीन अपने सभी पड़ोसी मुल्कों के साथ उलझा हुआ है।
भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन
पीएम नरेंद्र मोदी के इन बयानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन भी मिला। अमेरिका ने साफ कर दिया कि चीन की विस्तारवादी नीति का समर्थन नहीं किया जा सकता है और संकट की घड़ी में अमेरिका भारत के साथ है। इसके साथ ही आस्ट्रेलिया ने भी भारत को सैन्य समर्थन देने की घोषणा की और इसके साथ ही चीन के लिए अलग से रक्षा बजट का प्रावधान रखा।
भारत की सैन्य तैयारी से चीन डरा !
फ्रांस ने साफ किया कि वो जुलाई के अंत तक 6 राफेल विमानों के पहले बैच का सप्लाई करेगा तो रूस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हथियारों की खरीद प्रक्रिया खासतौर से एस-400 पर बातचीत की। इसके साथ ही रूस के अपग्रेडेड मिग 29 और सुखोई की खरीद पर सहमति बनी। इजरायल से स्पाइस बम और खरीदे जाने पर भारत सरकार आगे बढ़ी। यह सब वो कदम थे जब चीन को लगने लगा कि अब मामला हाथ से निकल रहा है।
59 चीनी ऐप पर लगा बैन
भारत सरकार ने जब चीन के 59 ऐप को बैन करने का फैसला किया तो चीन को समझ में नहीं आया कि क्या करना चाहिए। चीन की तरफ से धमकी भी आई लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया था कि जो ऐप सुरक्षित नहीं होंगे उन्हें इजाजत नहीं मिलेगी। सरकार के इस फैसले से चीनी कंपनियों को हजारों करोड़ों का नुकसान हो रहा है। बैन किये गए चीनी ऐप में कुछ बेहद लोकप्रिय हो गए थे लेकिन बैन के बाद कमाई का एक बड़ा जरिए बंद हुआ तो झटका लगना तय था।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।