Rashtravad: फिर घमासान...सड़क पर आंदोलनजीवी या किसान! किसानों का आंदोलन या सियासत पार्ट -2 ?

farmers on the road:क्या किसानों के नाम पर एक बार फिर आंदोलनजीवी सियासत करने लगे हैं - किसान आंदोलन के बहाने 2024 की तैयारी शुरू हो गई है ...दरअसल एक बार फिर दिल्ली में किसानों का जमावड़ा लग रहा है - आज दिल्ली के जंतर मंतर पर बड़ी संख्या में किसान मौजूद हैं - एक दिन की महापंचायत का आयोजन किया गया है।

Delhi Jantar Mantar Farmers Protest
2024 की तैयारी में जुटे आंदोलनजीवी ?  |  तस्वीर साभार: Times Now

संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने  दिल्ली के जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) का ऐलान किया दिल्ली में एक बार फिर किसान पूरे दमखम के साथ जंतर मंतर (Delhi Jantar Mantar Farmers Protest) पर जुट गए हैं । बता दें कि टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) पर किसानों को रोका गया था, जो दिल्ली में प्रवेश करना चाह रहे थे।

दरअसल, किसानों के पास प्रदर्शन की इजाजत नहीं थी बावजूद इसके हजारों की संख्या में जंतर मंतर पर पहुंच पंचायत कर रहे हैं | इस बीच पुलिस ने एहतियातन राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को हिरासत में ले लिया है |

देश के कई शहरों से किसान दिल्ली कूच कर  रहे हैं हालांकि गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर मुस्तैद पुलिस ने कई किसानों को दिल्ली आने से रोक दिया ..लेकिन फिर भी बड़ी तादात में किसान संगठन जंतर मंतर पर जमा हुए। दिल्ली में जमा हुए इन किसानों की मांग पहले आपको बताते हैं -इन किसानों की मांग है कि लखीमपुर खीरी कांड में इंसाफ हो और मंत्री अजय मिश्र टेनी का इस्तीफा हो किसानों की मांग है- 

पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस हो
जेल में बंद किसानों की रिहाई हो 
MSP गारंटी कानून बनाया जाय
देश के सभी किसान कर्जमुक्त हों 
गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए
गन्ने की बकाया राशि का तुरंत भुगतान हो 
अग्निपथ योजना वापस ली जाए

क्या इन मांगों के बहाने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी है - पिछली बार 14 महीने तक चले आंदोलन के बाद मोदी सरकार ने तीनों कानून वापस लिए तब जाकर किसानों का आंदोलन खत्म हुआ - क्या आंदोलनजीवी एक बार फिर 2024 से पहले वैसा ही आंदोलन खड़ा कर मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाना चाहते हैं  - लेकिन एक बात और गौर करने वाली है कि प्रदर्शन कर रहे किसानों में सभी संगठन मौजूद नहीं हैं - प्रदर्शन कर रहे इन किसान संगठनों का कहना है कि पिछली बार राजनीतिक लाभ के लिए कुछ नेताओं ने किसानों का इस्तेमाल किया लेकिन अब किसान संगठन इन्हें अलग कर रहे हैं - क्या खुद को किसानों का मसीहा बताकर राजनीतिक एजेंडा सेट करने वाले आंदोलनजीवी बंट गए हैं - सुनिए किसान नेता शिव कुमार कक्का का क्या कहना है 

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने आंदोलन खत्म करते वक्त जो वादे किए वो पूरे नहीं किए - आज इस मुद्दे पर बहस करें उससे पहले ये जानना जरूरी है कि सरकार ने क्या किया 

किसानों की मांग थी कि 
1- किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस हो               
दिसंबर 2021 में नरेंद्र सिंह तोमर कृषि मंत्री ने कहा 'कानून व्यवस्था राज्यों का विषय, राज्य सरकार फैसला लें'मार्च 2022 में AAP सरकार ने दर्ज मामले वापस लेने की मंजूरी दी 
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किसानों की मांग थी मारे गए आंदोलनकारी किसानों के परिवारों को मुआवजा

मार्च 2021 में पंजाब सरकार ने 400 परिवारों को 5 लाख तक का मुआवजा दिया 
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किसानों की मांग थी कि पराली जलाने पर अपराध न हो 
केंद्र सरकार ने इसे अपराधीकरण से मुक्त किया 
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किसानों की मांग थी कि MSP पर चर्चा करने के लिए एक समिति का गठन हो 
सरकार ने जुलाई 2022 में पूर्व कृषि सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया 
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किसानों की मांग थी कि MSP पर जो नीति है जारी रहे 
सरकार ने जारी MSP पर 69.24 लाख टन गेहूं 14000 करोड़ में खरीदा 

ऐसे में आज के सवाल हैं-

फिर घमासान...सड़क पर आंदोलनजीवी या किसान ?
किसानों का आंदोलन या सियासत पार्ट -2 ?
2024 की तैयारी में जुटे आंदोलनजीवी ?
मोदी...इस बार किसानों की मांग का क्या करेंगे? 

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