नई दिल्ली। कुछ दिन पहले तक राजस्थान का भीलवाड़ा शहर कोरोना के प्रकोप की वजह से चर्चा में था। लेकिन बाद में इस शहर को मॉडल के तौर पर इसलिए देखा जाने लगा। वजह साफ थी क्योंकि कोरोना संक्रमण से यह जिला मुक्त हो चुका था। हालांकि सवाल यह है कि अगर भीलवाड़ा मॉडल कामयाब है तो गहलोत सरकार दूसरे कोरोना प्रभावित इलाकों में इस मॉडल को क्यों नहीं लाहगू कर पा रही है।
इन जिलों में भीलवाड़ा मॉडल का असर कम
राजस्थान में कोरोना संक्रमित जिलों जयपुर, बांसवाड़ा, करौली, टोंक और भरतपुर आगे है। खासतौर से जयपुर का रामगंज इलाका ज्यादा प्रभावित है। अब लौटते हैं मूल सवाल पर कि भीलवाड़ा मॉडल इन जगहों पर कामयाब क्यों नहीं हो रहा है। दरअसल इसके पीछे कई वजह है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी कहते हैं कि भीलवाड़ा और जिन जिलों का हम जिक्र कर रहे हैं उनकी भौगोलिक स्थितियों में फर्क है। भीलवाड़ा के जिन इलाकों में संक्रमण था वो खुले हुए थे। लेकिन जयपुर, भरतपुर की हालात अलग है।
भौगोलिक स्थिति और जनघनत्व भी बड़ी वजह
अगर भीलवाड़ा और जयपुर की तुलना करें तो दोनों जगहों के जनघनत्व में फर्क है। भीलवाड़ा में आबादी जयपुर से कम है, खुली सड़कें और दूसरी वजहों के अलावा भीलवाड़ा में एक अस्पताल में संक्रमण फैला था। भीलवाड़ा में जिन लोगों के बीच संक्रमण फैला वो स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हुए तो और वो बेहतर तरह से खुद को क्वारंटीन करने में कामयाब हुए। लेकिन अगर बात बांसवाड़ा की करें तो वो गुजरात से सटा वो इलाका आदिवासी बहुल है और वहां शिक्षा की कमी है।
जयपुर का रामगंज मोहल्ला ज्यादा प्रभावित
जयपुर का रामगंज मोहल्ला कोरोना संक्रमण से ज्यादा प्रभावित है। यहां पर हालात यह है कि गलियां संकरी हैं, जनघनत्व ज्यादा है ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को जिस तरह से अमल में लाया जाना चाहिए उसे जमीन पर उतारना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही टेस्ट के लिए किट्स की उपलब्धता में भी कमी है। राज्य सरकार का कहना है कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के तहत आगे बढ़ रहे हैं।
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