CAA: एक, दो और तीन दिन बातचीत नाकाम, शाहीन बाग से लौटे वार्ताकार संजय हेगड़े- साधना रामचंद्रन

देश
ललित राय
Updated Feb 21, 2020 | 21:00 IST

नागरकिता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाद में प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को बात बनते बनते बेपटरी हो गई तो क्या इस गतिरोध के लिए अब सिर्फ और सिर्फ प्रदर्शनकारी जिम्मेदार हैं।

CAA: एक, दो और तीन दिन बातचीत नाकाम, शाहीन बाग से लौटे वार्ताकार
शाहीन बाग में पिछले 71 दिन से प्रदर्शन जारी 
मुख्य बातें
  • शाहीन बाग में शुक्रवार को भी बातचीत रही बेनतीजा, प्रदर्शनकारी सड़क खोलने को तैयार नहीं
  • सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन वार्तकार नियु्क्त हैं
  • प्रदर्शनकारियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर सीएए, एनपीआर और एनआरसी बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली। शुक्रवार की सुबह राहत वाली खबर आई कि नोएडा से फरीदाबाद जाने वाले रास्ते को खोल दिया गया  था। लेकिन बाद में उस रास्ते को बंद करने की भी खबर आ गई। इन सबके बीच वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामतचंद्रम एक बार फिर शाहीन बाग पहुंची। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। प्रदर्शनकारियों की सिर्फ एक मांग की सीएए हटाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं। रास्ता खोले जाने के बाद दोबारा पुलिस द्वारा बंद किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने हैरानी जताई।

रास्ता दोबारा बंद किये जाने पर वार्ताकार नाराज
शाहीन बाग से जुड़े एक वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि शुक्रवार की सुबह जब उन्हें पता चला कि नोएडा-फरीदाबाद जाने के लिए एक तरफ का रास्ता खुल गया है तो लगा कि सकारात्मक संदेश जाएगा। लेकिन पुलिस ने जिस तरह से फिर से बैरिकेडिंग कर दी वो समझ के बाहर है क्योंकि पुलिस की तरफ से कुछ पुख्ता वजह नहीं बताई गई। संजय हेगड़े ने कहा कि पुलिस की तरफ से इस तरह की कार्रवाई से विश्वास बहाली को झटका लगा है। 


तीसरे दिन भी नहीं बनी बात
वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से पूछा कि आप लोगों ने जब एक रोज बंद की है तो दूसरी तरफ की रोड किसने बंद की है, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं आया। इस बीच दूसरे वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि पिछले दो दिन से हम लोगों ने आपकी बात सुनी है और वो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा देंगे। वो सरकार द्वारा नियुक्त शख्स नहीं है लिहाजा वो किसी तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है। 


मीडिया के सामने बातचीत पर अड़े प्रदर्शनकारी
शाहीन बाग के प्रदर्शकारियों ने कहा कि मीडिया के बिना बातचीत का कोई अर्थ नहीं है। जहां तक दूसरी साइड के रोड को बंद करने का सवाल है तो यह सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है। दिल्ली सरकार हिफाजत का वादा तो करे। असम में एनआरसी जब लागू हुआ तो क्या हुआ सबने देखा है। प्रदर्शनकारियों से कहा गया कि अब तो असम शांत है वहां से किसी तरह की खबर नहीं आ रही है जबकि वहां एनआरसी लागू है। आप लोग उस विषय पर प्रदर्शन कर रहे हैं जो अस्तित्व में नहीं है। इस तरह की बात पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें डर है कि इसे लागू कर दिया जाएगा। 

जब दिल्ली पुलिस ने मानी बात, प्रदर्शनकारी पलटे
रोड बंद करने पर प्रदर्शनकारियों और दिल्ली पुलिस की तरफ से गरमागरम दलील पेश की गई। जब वार्ताकारों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने रास्ता बंद किया है तो एसएचओ ने कहा कि नहीं पुलिस की तरफ से रास्ता बंद नहीं है। इस बयान पर धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि पुलिस अगर हिफाजत का भरोसा दे तो वो रास्ता खोले देंगे। दिल्ली पुलिस की तरफ से तुरंत कहा गया कि वो हिफाजत की भरोसा देते हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। वो लिखित में सुरक्षा देने का वादा मांग रहे थे। 

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